UPSI 2025 Mool Vidhi CrPC In Hindi: दंड प्रक्रिया संहिता

UPSI 2025 Mool Vidhi CrPC In Hindi: दंड प्रक्रिया संहिता UPSI (उत्तर प्रदेश पुलिस सब-इंस्पेक्टर) परीक्षा में मूल विधि (Mool Vidhi) में सीआरपीसी (CrPC) का अध्ययन महत्वपूर्ण है। सीआरपीसी, यानी दंड प्रक्रिया संहिता, एक ऐसी विधि है जो अपराधों की जांच, गिरफ्तारी, अभियोजन और सजा से संबंधित है।

● इस में CrPC संबंधित प्रश्न दिए गए हैं जो कि UPSI 2025 की  Exam के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आप इसे अच्छे से याद कर ले ऐसे ही टेस्ट डेली आप लोगों के लिए इस www.gyanseva24.com वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं यह प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है जो कि आपका आने वाले सभी परीक्षाओं के लिए बहुत ही उपयोगी होंगे

दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)- 1973

महत्त्वपूर्ण बिन्दुः

● CrPC को वर्ष 1973 में अधिनियमित किया गया तथा 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया।

● 31 अक्टूबर 2019 से CrPC अब सम्पूर्ण भारत में लागू है।

● CrPC में कुल 37 अध्याय तथा 484 धाराएँ निहित हैं।

● दण्ड प्रक्रिया सहिंता (CrPC) समवर्ती सूची का विषय है।

महत्त्वपूर्ण धाराएँ:-

धारा 1 :- संहिता का नाम एवं विस्तार क्षेत्र ।

यह नागालैण्ड राज्य एवं आदिवासी क्षेत्रों के अलावा सम्पूर्ण भारत पर लागू होगी।

 

धारा 2 :-परिभाषाएँ।

2(a) जमानतीय अपराध की परिभाषा ।

2(b) आरोप की परिभाषा ।

2(c) संज्ञेय अपराध की परिभाषा।

2(d) परिवाद /शिकायत की परिभाषा।

2(g) जांच की परिभाषा।

2(h) अन्वेषण की परिभाषा।

2(i) असंज्ञेय अपराध की परिभाषा।

2(n) अपराध की परिभाषा।

2(r) पुलिस रिपोर्ट।

2(s) पुलिस स्टेशन।

2(x) वारंट मामला।

2(w) समन मामला ।

धारा 8 :- राज्य सरकार द्वारा महानगर क्षेत्र की घोषणा ।

धारा 9 :-सत्र न्यायालय ।

धारा 10 :- सहायक सत्र न्यायाधीशों का अधीनस्थ होना।

धारा 13 :- विशेष न्यायिक मजिस्ट्रेट ।

धारा 20 : कार्यकारी मजिस्ट्रेट।

धारा 24 : लोक अभियोजक ।

धारा 25 :- सहायक लोक अभियोजक ।

धारा 28 :- दण्डादेश जो उच्च न्यायालय और सत्र न्यायालय दे सकेंगे।

धारा 29 :- दण्डादेश जो मजिस्ट्रेट दे सकेंगे।

धारा 30 :- जुर्माना न देने पर कारावास का प्रावधान ।

धारा 36 :- वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की शक्तियाँ।

धारा 39:- कुछ अपराधों में जनता द्वारा इत्तिला देना।

धारा 41 : जब पुलिस वारंट के बिना गिरफ्तारी कर सकती है।

धारा 41(c) :- जिलों में नियंत्रण कक्ष।

धारा 41 (d) :-अपनी पसंद का वकील चुनने का अधिकार ।

धारा 42 :- नाम और निवास बताने से इनकार करने पर गिरफ्तारी ।

धारा 43 : निजी व्यक्ति द्वारा गिरफ्तारी और ऐसी गिरफ्तारी पर प्रक्रिया।

धारा 44 :- मजिस्ट्रेट द्वारा गिरफ़्तारी ।

धारा 45 :- सशस्त्र बलों के सदस्यों का गिरफ्तारी से संरक्षण।

धारा 46 :- गिरफ्तारी कैसे की जाएगी।

धारा 47 :- उस स्थान की तलाशी जहाँ किसी आरोपी की प्रविष्टि हो।

धारा 53 (a) :- बलात्संग के आरोपी का चिकित्सकीय परीक्षण।

धारा 54 :- चिकित्सा अधिकारी द्वारा गिरफ़्तार किए गये व्यक्ति का परीक्षण।

धारा 57 :- गिरफ्तार व्यक्ति को पुलिस 24 घण्टे से अधिक समय के लिए हिरासत में नहीं रख सकती ।

धारा 60 :- किसी अपराधी के निकल भागने पर उसका पीछा करने की शक्तियाँ।

धारा 62 :- समन की तामील कैसे की जाए।

धारा 66 :- सरकारी कर्मचारी को समन।

धारा 69 :- गवाह को समन।

धारा 70 :- गिरफ्तारी वारंट का प्रारूप।

धारा 73 :- वारंट किसी भी व्यक्ति को निर्देशित किया जा सकता है।

धारा 77 :- वारंट कहाँ निष्पादित होगा। भारत में किसी भी स्थान पर गिरफ्तारी का वारंट निष्पादित किया जा सकता है।

धारा 80 :- व्यक्ति जिसके विरूद्ध वारंट है उसके गिरफ्तार होने की प्रक्रिया।

धारा 82 :- फरार व्यक्ति के लिए उद्घोषणा। व्यक्ति को इसमें 30 दिन की रियायत मिलती है।

धारा 83 :- फरार व्यक्ति की सम्पत्ति की कुर्की।

धारा 84 :- कुर्की के बारे में दावे और आपत्तियाँ।

धारा 91 :- दस्तावेज या अन्य चीज पेश करने के लिए समन।

धारा 93 :- तलाशी वारंट कब जारी होगा।

धारा 94 :- उस स्थान की तलाशी जहाँ चुराई हुई वस्तु या कूटरचित दस्तावेज होने का संदेह हो।

धारा 97 :- सदोष परिरूद्ध व्यक्तियों के लिए तलाशी वारंट।

धारा 103 :- मजिस्ट्रेट अपनी उपस्थिति में तलाशी लेने का निर्देश दे सकता है।

धारा 108 :- राजद्रोहात्मक बातें फैलाने वाले व्यक्तियों से सदाचार की प्रतिभूति ।

धारा 109 :- संदिग्ध व्यक्तियों से सदाचार की प्रतिभूति ।

धारा 116 :- इत्तिला की जाँच करना।

धारा 117 :- प्रतिभूति देने का आदेश।

धारा 125 :- पत्नी, संतान एवं माता-पिता के भरण-पोषण के लिए आदेश।

धारा 130 :- जमाव को तितर-बितर करने के लिए सशस्त्र बल का प्रयोग।

धारा 131 :- जमाव को तितर-बितर करने की सशस्त्र बल के कुछ अधिकारियों की शक्ति ।

धारा 144 :- न्यूसेंस (बाधा उत्पन्न करना) या आसंकित खतरे के अर्जेन्ट मामलों में आदेश जारी करने की शक्ति।

धारा 145 :- प्रक्रिया, जहाँ भूमि या जल से सम्बन्धित विवाद जिनमें परिशान्ति का भंग होना सम्भाव्य है।

धारा 148 :- स्थानीय जाँच ।

धारा 149 :- पुलिस द्वारा संज्ञेय अपराधों का निवारण।

धारा 151 :- संज्ञेय अपराधों को रोकने के लिए गिरफ्तारी ।

धारा 153 :- पुलिस अधिकारी द्वारा अपने अधिकार क्षेत्र में बाटों और मापों का निरीक्षण।

धारा 154 :- एफ.आई.आर. (संज्ञेय मामलों में)

धारा 155 :- एन.सी.आर. (असंज्ञेय मामलों में)

धारा 156 :- अन्वेषण की शक्तियाँ।

धारा 157 :- अन्वेषण की प्रक्रिया।

धारा 160 :- गवाह को उपस्थित होने के लिए निर्देश।

धारा 161 :- पुलिस द्वारा साक्षियों की परीक्षा।

धारा 164 :- संस्वीकृतियों और कथनों को न्यायिक मजिस्ट्रेट अभिलिखित करेगा।

धारा 164 (A) :-बलात्संग से पीड़ित की जाँच 24 घण्टे के भीतर होगी।

धारा 167:- जब 24 घण्टे के भीतर अन्वेषण पूरा न किया जा सके, तब प्रक्रिया।

धारा 172 :- अन्वेषण में कार्यवाहियों की डायरी।

धारा 173 :- अन्वेषण के खत्म हो जाने पर रिपोर्ट को न्यायालय में सौंप देना।

धारा 174 :- आत्महत्या के मामले की पुष्टि और जाँच ।

धारा 176 :- मृत्यु के कारण की मजिस्ट्रेट द्वारा जाँच ।

धारा 182 :- पत्रों आदि के द्वारा किये गये अपराध।

धारा 183 :- यात्रा या जलयात्रा के दौरान हुए अपराधों की जाँच ।

धारा 190 :- कार्यपालक मजिस्ट्रेट द्वारा अपराध का संज्ञान।

धारा 191 :- अभियुक्त के आवेदन पर स्थानांतरण।

धारा 193 :- अपराध का सत्र न्यायालय द्वारा संज्ञान।

धारा 198 :- विवाह के विरूद्ध अपराधों के लिए अभियोजन ।

● यदि लड़की की उम्र 18 वर्ष से कम हो, अंग शिथिलता या विक्रतचित्त हो तो इन मामलों में प्रक्रिया अन्य व्यक्ति द्वारा भी की जा सकती है।

● व्यथित पत्नी की तरफ से शिकायत उसका कोई रक्त सम्बन्धी, दत्तक तथा ससुराल पक्ष से हो, कर सकता है।

धारा 198 A :- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 498 (A) की जाँच ।

धारा 198B :- भारतीय दण्ड संहिता की धारा 376 (B) की जाँच ।

धारा 203 :- मजिस्ट्रेट द्वारा परिवाद को खारिज किया जा सकता है।

धारा 206 :- छोटे अपराधों के मामले में विशेष समन।

धारा 207 :- अभियुक्त को पुलिस रिपोर्ट, FIR एवं बयान की कॉपी निःशुल्क कोर्ट द्वारा देय होंगे।

धारा 216 :- न्यायालय कभी भी आरोप परिवर्तित कर सकता है।

धारा 217:- गवाहों को पुनः न्यायालय में बुलाना।

धारा 220 :- एक से अधिक अपराधों के लिए विचारण।

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 मूलविधि 01 

IPC – Indian Penal Code Important Sections -UPSI 2025 दरोगा भर्ती

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 मूलविधि 02 

UPSI 2025 On IPC/CRPC/Mool Vidhi in Hindi

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 मूलविधि 03 👇👇👇👇

UP Police SI 2025 Moolvidhi IPC : भारतीय न्याय संहिता UPSI Moolvidhi

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Umesh Yadav

पिछले 2 व अधिक सालों से जीवित, सजीव, बेबाक और ठोस लेखनी की छाप छोड़ते आये इंजीनियर उमेश यादव, जिला Firozabad , उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। आगरा विश्वविघालय से B.A और UPBTE से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा (ME) और UPBTE से B.Tech (ME)करने के बाद आजकल Firizabad, उत्तर प्रदेश मे रहते हुए स्वतंत्र लेखन कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व समर्पित है। सरकारी नौकरी, प्राईवेट नौकरी, के सभी विषय बार + Chepter Wise Study material सहित अन्य सभी विषयों पर गंभीर, जुझारू और आलोचनात्मक / समीक्षात्मक लेखनी के लिए इंजीनियर उमेश यादव कई बार विवादों का शिकार होते हुए निडरतापूर्वक लेखन करने के लिए जाने जाते है।

पिछले 2 व अधिक सालों से जीवित, सजीव, बेबाक और ठोस लेखनी की छाप छोड़ते आये इंजीनियर उमेश यादव, जिला फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। आगरा विश्वविघालय से B.A और UPBTE से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा (ME) और UPBTE से B.Tech (ME)करने के बाद आजकल फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश मे रहते हुए स्वतंत्र लेखन कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व समर्पित है। सरकारी नौकरी, प्राईवेट नौकरी, के सभी विषय बार + Chepter Wise Study material सहित अन्य सभी विषयों पर गंभीर, जुझारू और आलोचनात्मक / समीक्षात्मक लेखनी के लिए इंजीनियर उमेश यादव कई बार विवादों का शिकार होते हुए निडरतापूर्वक लेखन करने के लिए जाने जाते है।

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