*UP Police SI 2025 Moolvidhi IPC : भारतीय न्याय संहिता UPSI Moolvidhi यूपी पुलिस सब इंस्पेक्टर के लिए आईपीसी मूलविधि की तैयारी के लिए, आपको आईपीसी (भारतीय दंड संहिता) और सीआरपीसी (दंड प्रक्रिया संहिता) के मुख्य प्रावधानों को समझना होगा। इसमें अपराधों की परिभाषा, सजा के प्रकार, और कानून के विभिन्न पहलुओं का अध्ययन शामिल है यूपी पुलिस सब इंस्पेक्टर परीक्षा में सफलता के लिए IPC और CRPC मूलविधि की अच्छी समझ आवश्यक है। नियमित अध्ययन, अच्छी तैयारी और पिछले वर्षों के प्रश्नपत्रों का अभ्यास करके आप परीक्षा में सफल हो सकते हैं
अध्याय – 16 मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में
धारा 299 :- आपराधिक मानव वध।
धारा 300 :- हत्या।
नोट :- सभी हत्यायें मानव वध होते हैं किंतु सभी मानव वध हत्या नहीं होते।
- कब मानव वध को हत्या नहीं मानेंगे-
(1) गंभीर एवं अचानक प्रकोपन।
(2) निजी सुरक्षा के अधिकार के प्रयोग में।
(3) लोक सेवक द्वारा अतिरेक ।
(4.) अचानक लड़ाई।
(5) सहमति द्वारा मृत्यु ।
धारा 301:- जिस व्यक्ति की मृत्यु कारित करने का आशय था, उससे भिन्न व्यक्ति की मृत्यु करके आपराधिक मानव वध ।
धारा 302 :- हत्या के लिए दण्ड।
सजा- मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास और जुर्माना।
धारा 303 :- आजीवन कारावास होते हुए हत्या कारित कर देना। इसके लिए सजा मृत्युदण्ड होगी।
धारा 304 A:- उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना।
सजा- 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 304 B :- दहेज मृत्यु।
सजा- 7 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक ।
धारा 306 :- आत्महत्या का दुष्प्रेरण ।
सजा- 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 307 :- हत्या करने का प्रयत्न ।
धारा 308 :- आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न ।
सजा – 7 वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 309 :- आत्महत्या करने का प्रयत्न ।
सजा- 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 310 :- ‘ठग’ की परिभाषा ।
धारा 311 :- ठगी के लिए दण्ड ।
सजा- आजीवन कारावास + जुर्माना ।
धारा 312 :- गर्भपात कारित करना।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 313 :- स्त्री की सम्मति के बिना गर्भपात कारित करना।
सजा- आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना भी देय
धारा 316 :- आपराधिक मानव वध की कोटि में आये सजीव शिशु (अजन्मा) की हत्या।
सजा- 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 319 :- ‘उपहति’ की परिभाषा ।
धारा 320 :- घोर उपहति ।
उपहति की केवल निम्नलिखित किस्में घोर कहलाती हैं-
- पुंस्त्वहरण।
- किसी एक नेत्र या दोनों का विच्छेद ।
- किसी एक कान या दोनों का विच्छेद ।
- किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेद।
- सिर या चेहरे का विद्रूपीकरण ।
- अस्थिभंग या दाँत भंग।
धारा 321:- स्वेच्छ्या से उपहति कारित करना।
धारा 322:- स्वेच्छ्या से घोर उपहति कारित करना।
धारा 323:- स्वेच्छ्या उपहति कारित करने के लिए दण्ड।
सजा- 1 वर्ष तक का कारावास या ₹1000 तक का जुर्माना या दोनों।
धारा 324 :- आयुध सहित स्वेच्छया उपहति कारित करना।
सजा – 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 325 :- स्वेच्छ्या घोर उपहति कारित करने के लिए दण्ड।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 326 :- आयुध सहित स्वेच्छ्या घोर उपहति कारित करना।
सजा- आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 328 :- विष इत्यादि द्वारा उपहति कारित करना।
सजा- जुर्माना + 10 वर्ष तक का कारावास
धारा 330 :- सम्पत्ति के प्रत्यर्पण के लिए अथवा किसी अपराध की स्वीकृति के लिए किसी लोक सेवक द्वारा उसे विवश करने के लिए उपहति कारित करना।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 339 :- सदोष अवरोध (निश्चित दिशा के लिए)
● विशेष दिशा में जाने से रोक।
धारा 340 :- सदोष परिरोध (किसी भी दिशा के लिए)
● चारों ओर से पूर्ण रोक।
धारा 341:- सदोष अवरोध के लिए दण्ड। (1 माह तक कारावास या ₹500 तक जुर्माना या दोनों)
धारा 342 :- सदोष परिरोध के लिए दण्ड। (1 वर्ष तक का कारावास या ₹1000 तक जुर्माना या दोनों )
धारा 350 :- ‘आपराधिक बल’ की परिभाषा।
धारा 351 :- ‘हमले’ की परिभाषा ।
धारा 354:- स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
सजा- 1 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक कारावास और जुर्माना ।
धारा 354B : स्त्री को विवस्त्र करने का अपराध ।
सजा- 3 वर्ष से लेकर 7 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना।
धारा 354D:- स्त्री का पीछा करना।
सजा- 3 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना ।
धारा 359 :- ‘व्यपहरण’ की परिभाषा ।
धारा 360 :- भारत में से व्यपहरण।
(भारत की सीमाओं से बाहर ले जाना)
धारा 361:- विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण।
धारा 362 :-‘अपहरण’ की परिभाषा ।
धारा 363 :- व्यपहरण के लिए दण्ड।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना।
धारा 364 :- हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण ।
सजा- आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कठिन कारावास और जुर्माना।
धारा 366 :- विवाह आदि के लिए अपहरण या व्यपहरण ।
सजा- 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 366 A :- अप्राप्तवय लड़की का उपापन।
सजा- जुर्माना + 10 वर्ष तक का कारावास
धारा 366 B:- विदेश से लड़की आयात करना। (21 वर्ष से कम आयु की )
सजा-10 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना।
धारा 375 :- ‘बलात्संग’ की परिभाषा ।
निम्न परिस्थितियाँ बलात्संग के अंतर्गत परिभाषित होंगी-
● स्त्री की सम्मति के बिना
● डर से या भय से
● शादी का बहकावा देकर
● पति होने के बहकावे में
● सम्मति से भी अगर उम्र 18 वर्ष से कम है।
● किसी गूंगी लड़की के साथ जो सम्मति देने में असमर्थ है।
धारा 376 :- बलात्संग के लिए दण्ड।
सजा- 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारवास तक (कठोर कारवास) और जुर्माना।
धारा 376 D :- सामूहिक बलात्संग।
सजा- बीस वर्ष का कठोर कारावास जो आजीवन कारावास तक हो सकता है और पीड़िता को भुगतान किया जाने वाला जुर्माना।
अध्याय-17 सम्पत्ति के विरुद्ध अपराधों के विषय में
धारा 378:- ‘चोरी’ की परिभाषा ।
धारा 379 :- चोरी के लिए दण्ड ।
सजा- 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 380 :- निवास गृह में चोरी।
सजा- जुर्माना + 7 वर्ष तक का कारावास
धारा 381 :-लिपिक या सेवक द्वारा मालिक के सामान की चोरी।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 390:- लूट।
यह चोरी का ही गंभीर रूप है जिसमें किसी वस्तु को उसके स्वामी से लेने के लिए हिंसा का प्रयोग किया जाता है।
धारा 391:- ‘डकैती’ की परिभाषा ।
धारा 392 :- लूट के लिए दण्ड।
सजा- 10 वर्ष तक का कठिन कारावास और जुर्माना ।
● यदि लूट किसी राजमार्ग पर सूर्यास्त और सूर्योदय के बीच की जाए तो सजा 14 वर्ष तक होगी।
धारा 396 :- हत्या सहित डकैती ।
सजा- मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कठिन कारावास और जुर्माना ।
धारा 399 :- डकैती करने के लिए तैयारी करना।
सजा- 10 वर्ष तक का कठिन कारावास और जुर्माना।
धारा 400 :- डाकुओं की टोली का होने के लिए दण्ड।
सजा – आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कठिन कारावास और जुर्माना।
धारा 401 :- चोरों की टोली का होने के लिए दण्ड ।
सजा – 7 वर्ष तक का कठिन कारावास और जुर्माना।
धारा 405 :- आपराधिक न्यासभंग । (विश्वासघात करना न्यासभंग कहलाता है)
जैसे:- किसी बैंक के कर्मचारियों द्वारा कैश वैन को बेईमानी से ले जाना।
धारा 406 :- आपराधिक न्यासभंग के लिए दण्ड।
सजा- तीन वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 408 :- लिपिक या सेवक द्वारा आपराधिक न्यासभंग ।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 411 :- चुराई हुई सम्पत्ति को बेईमानी से प्राप्त करना।
सजा- 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 415 :- ‘छल’ की परिभाषा।
धारा 416 :- प्रतिरूपण द्वारा छल ।
धारा 417 :- छल के लिए दण्ड ।
सजा- 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 419 :- प्रतिरूपण द्वारा छल के लिए दण्ड।
सजा- 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 420 :- छल करना और संपत्ति परिदत्त करने के लिए बेईमानी से उत्प्रेरित करना।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 425 – ‘रिष्टि’ की परिभाषा ।
(किसी व्यक्ति को उसकी सम्पत्ति से वंचित करना या सम्पत्ति को नुकसान पहुँचाना)
नोटः- रिष्टि में नुकसान स्वयं को भी पहुँच सकता है।
धारा 426 :- रिष्टि के लिए दण्ड।
(3 माह तक का कारावास या जुर्माना या दोनों )
धारा 427:- ऐसी रिष्टि जिससे ₹50 का नुकसान हो।
सजा – 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 434 :- लोक अधिकारी द्वारा लगाये गये भूमि चिह्न को हटाना या हटाने का प्रत्यन करना।
सजा- 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 441 :- आपराधिक अतिचार।
( वह प्रवेश जिससे उस सम्पत्ति का मालिक अभित्रस्त या क्षुब्ध हो)
धारा 442 :- गृह अतिचार।
धारा 445 :- गृह भेदन।
(अवैध रूप से घर में जाना )
धारा 446 :- रात्रौ गृह भेदन।
जो कोई सूर्यास्त के बाद और सूर्योदय से पूर्व गृह भेदन करता है वह रात्रौ गृह भेदन करता है।
धारा 447 :- आपराधिक अतिचार का दण्ड।
(3 माह तक का कारावास या ₹500 तक का जुर्माना या दोनों)
धारा 448 :- गृह अतिचार के लिए दण्ड । (1 वर्ष तक का कारावास या ₹1000 तक का जुर्माना या दोनों)
धारा 449 :- मृत्यु से दंडनीय अपराध को करने के लिए गृह अतिचार।
सजा- आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कठिन कारावास और जुर्माना ।
धारा 461 :- ऐसे पात्र को बेईमानी से तोड़ना या खोलना जिसमें कोई सम्पत्ति हो।
सजा – 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
अध्याय-18 दस्तावेजों और सम्पत्ति चिह्नों सम्बन्धी अपराधों के संदर्भ में
धारा 463 :- ‘कूटरचना’ की परिभाषा।
(मिथ्या दस्तावेज या मिथ्या इलैक्ट्रानिक अभिलेख आदि की रचना)
धारा 464 :- मिथ्या दस्तावेज तैयार करना।
धारा 465 :- कूटरचना के लिए दण्ड।
सजा- 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 468 :- छल के प्रयोजन से कूटरचना।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना ।
धारा 469 :- ख्याति को नुकसान पहुँचाने के उद्देश्य से कूटरचना।
सजा- जुर्माना + 3 वर्ष तक का कारावास
धारा 481 :- मिथ्या सम्पत्ति चिह्न को उपयोग में लाना।
धारा 482 :- मिथ्या सम्पत्ति चिह्न को उपयोग करने के लिए दण्ड।
(1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों)
अध्याय – 19 सेवा संविदाओं के आपराधिक भंग के संदर्भ में
धारा 491 :- असहाय व्यक्ति की परिचर्या (देखरेख) की संविदा का भंग।
सजा- 3 माह तक का कारावास या ₹200 तक का जुर्माना या दोनों।
अध्याय – 20 विवाह सम्बन्धी अपराधों के संदर्भ में
धारा 494:- पति या पत्नी के जीवनकाल में पुनः विवाह करना।
सजा – जुर्माना + 7 वर्ष तक का कारावास
धारा 498 :- विवाहित स्त्री को आपराधिक आशय से फुसलाकर ले जाना।
सजा – 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
अध्याय – 21 मानहानि के विषय में
धारा 499 :- ‘मानहानि’ की परिभाषा ।
● किसी व्यक्ति पर लांछन लगाना जो सत्य न हो।
● मानहानि मृत या जीवित दोनों व्यक्तियों की हो सकती है।
● मानहानि में व्यक्ति का अर्थ कोई कम्पनी, फैक्ट्री या कोई संस्था आदि भी हो सकता है।
धारा 500:- मानहानि के लिए दण्ड।
(2 वर्ष तक का सादा कारावास या जुर्माना या दोनों)
धारा 501 :- मानहानिकारक जानी हुई बात को मुद्रित करना।
सजा – 2 वर्ष तक का सादा कारावास या जुर्माना या दोनों।
अध्याय – 22 आपराधिक अभित्रास, अपमान और क्षोभ के विषय में
धारा 503 :- ‘आपराधिक अभित्रास’ की परिभाषा । (किसी व्यक्ति की ख्याति को छति पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया कार्य या धमकी)
धारा 506 :- आपराधिक अभित्रास के लिए दण्ड। (2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों )
धारा 509 :- कोई ऐसा शब्द अंगविक्षेप या कार्य जो किसी स्त्री का अनादर करे।
उदाहरण – अश्लील कॉल, अश्लील पत्र आदि ।
सजा- 3 वर्ष तक का सादा कारावास और जुर्माना।
अध्याय – 23 अपराधों को करने के प्रयत्नों के विषय में
धारा 511 :- आजीवन कारावास या अन्य कारावास से दण्डनीय अपराध करने के प्रयत्न के लिए दण्ड।
सजा – उस अधिकतम सजा का आधा होगी जिस अपराध को वह करता और जो सजा उसे होती या जुर्माना या दोनों से दण्डित किया जायेगा।
![]() पिछले 2 व अधिक सालों से जीवित, सजीव, बेबाक और ठोस लेखनी की छाप छोड़ते आये इंजीनियर उमेश यादव, जिला Firozabad , उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। आगरा विश्वविघालय से B.A और UPBTE से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा (ME) और UPBTE से B.Tech (ME)करने के बाद आजकल Firizabad, उत्तर प्रदेश मे रहते हुए स्वतंत्र लेखन कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व समर्पित है। सरकारी नौकरी, प्राईवेट नौकरी, के सभी विषय बार + Chepter Wise Study material सहित अन्य सभी विषयों पर गंभीर, जुझारू और आलोचनात्मक / समीक्षात्मक लेखनी के लिए इंजीनियर उमेश यादव कई बार विवादों का शिकार होते हुए निडरतापूर्वक लेखन करने के लिए जाने जाते है। |
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