UPSI 2025 On IPC/CRPC/Mool Vidhi in Hindi भारतीय दंड संहिता, 1860 (आईपीसी) और दंड प्रक्रिया संहिता, 1974 (सीआरपीसी) वे कानून हैं जो भारत में आपराधिक कानून को नियंत्रित करते हैं। आईपीसी भारत का प्रमुख आपराधिक कोड है जो अपराधों को परिभाषित करता है और लगभग सभी प्रकार के आपराधिक और कार्रवाई योग्य गलतियों के लिए दंड प्रदान करता है। सीआरपीसी एक प्रक्रियात्मक कानून है जो दंड कानूनों के तहत दंड के लिए एक विस्तृत प्रक्रिया प्रदान करता है।
अध्याय – 9 लोक सेवकों से सम्बन्धित अपराध
धारा 166A:- लोक सेवक जब विधि की अवज्ञा करे जिससे किसी को क्षति कारित हो, इसके लिए उसे 6 माह से लेकर 2 वर्ष तक की सजा हो सकती है और जुर्माना भी देय हो सकता है।
धारा 166 B :- पीड़ित का उपचार न करना।
धारा 170 :- लोक सेवक का प्रतिरूपण।
सजा – 2 वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 171 :- कपटपूर्ण आशय से लोकसेवक की वर्दी पहनना या टोकन धारण करना।
सजा-तीन माह तक कारावास या ₹200 तक जुर्माना या दोनों।
अध्याय – 9 (A) निर्वाचन सम्बन्धी अपराध
धारा 171 B :- निर्वाचन या चुनाव में पारितोषिक देना अपराध माना जायेगा।
धारा 171 E :- रिश्वत के लिए दण्ड ।
(1 वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों)
अध्याय-10 लोक सेवक के प्राधिकारों की अवमानना
धारा 172 :- समनों की तामील अथवा अन्य कार्यवाही से बचने के लिए फरार हो जाना।
सजा 1 माह तक कारावास या ₹500 तक जुर्माना या दोनों ।
धारा 174 :- लोक सेवक का आदेश न मानकर गैर-हाजिर रहना।
सजा 1 माह तक कारावास या ₹500 तक जुर्माना या दोनों ।
धारा 175 :- दस्तावेज या इलैक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने के लिए वैध रूप से आबद्ध व्यक्ति का लोक सेवक को दस्तावेज या काले इलैक्ट्रॉनिक अभिलेख पेश करने का लोप
धारा 176 :- विधि द्वारा आबद्ध किसी व्यक्ति द्वारा लोक सेवक को इत्तिला न देना।
सजा – 1 माह तक कारावास या ₹500 तक जुर्माना या दोनों।
धारा 182 :- इस आशय के साथ मिथ्या इत्तिला देना कि लोक सेवक अपनी विधिपूर्ण शक्ति का प्रयोग दूसरे व्यक्ति को क्षति करने के लिए करे।
सजा 6 माह तक कारावास या ₹1000 तक जुर्माना या दोनों।
धारा 186 :- लोक सेवक के लोक कृत्यों के निर्वहन में बाधा डालना।
सजा 3 माह तक कारावास या ₹500 तक का जुर्माना या दोनों।
धारा 189 :- लोक सेवक को क्षति करने की धमकी। सजा 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
अध्याय – 11 मिथ्या साक्ष्य एवं लोक न्याय
धारा 191 :- मिथ्या साक्ष्य देना।
नोट :- शपथ से पहले यदि न्यायालय में कुछ बोलेंगे तो उसे जानकारी कहेंगे लेकिन यदि शपथ लेने के पश्चात् न्यायालय में कुछ कहेंगे तो वह साक्ष्य कहलायेगा।
धारा 192 :- मिथ्या साक्ष्य गढ़ना।
जैसे :- A एक बक्से में, जो B का है, इस आशय से आभूषण रखता है कि वे उस बक्से में पाए जाएँ और इस परिस्थिति से B चोरी के लिए दोषसिद्ध ठहराया जाए। A ने मिथ्या साक्ष्य गढ़ा है।
धारा 193 :- मिथ्या साक्ष्य के लिए दण्ड।
सजा – सात वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 195 :- यदि मिथ्या साक्ष्य की वजह से किसी व्यक्ति को आजीवन कारावास या 7 वर्ष से अधिक की सजा हुई तो इसके लिए वही सजा प्रदान होगी जो मिथ्या साक्ष्य की वजह से उस व्यक्ति को दी गई ।
धारा 197 :- मिथ्या प्रमाणपत्र जारी करना या हस्ताक्षरित करना।
धारा 201 :- अपराध के साक्ष्य का विलोपन ।
सजा- A. यदि अपराध मृत्यु से दंडनीय हो, तो 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
B. यदि आजीवन कारावास से दंडनीय हो, तो 3 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
C. यदि 10 वर्ष से कम के कारावास से दंडनीय हो, तो इस सजा का एक-चौथाई या जुर्माना या दोनों।
धारा 205 :- वाद या अभियोजन में किसी कार्य या कार्यवाही के प्रयोजन से मिथ्या प्रतिरूपण ।
सजा 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 211 :- क्षति कारित करने के आशय से अपराध का मिथ्या आरोप ।
धारा 228 :- न्यायिक कार्यवाही में बैठे हुए लोक सेवक का साशय अपमान या उसके कार्य में विघ्न।
सजा – 6 माह तक का कारावास या ₹1000 तक का जुर्माना या दोनों।
अध्याय-12 सिक्के और सरकारी स्टाम्प सम्बन्धी अपराध
धारा 230 :- ‘सिक्का’ की परिभाषा ।
धारा 231 :- सिक्के का कूटकरण।
सजा- 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना
धारा 244 :- टकसाल में नियुक्त कर्मचारी द्वारा सिक्के का वजन विधि द्वारा नियत वजन से भिन्न कर देना।
सजा – 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 255 :- सरकारी स्टाम्प का कूटकरण ।
सजा – 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना
धारा 262 :- ऐसे सरकारी स्टाम्प का उपयोग जिसके बारे में ज्ञात है कि उसका पहले ही उपयोग हो चुका है।
सजा – 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
अध्याय – 13 बाटों और मापों से सम्बन्धित अपराध
धारा 264 :- तोलने या मापने हेतु खोटे उपकरण का उपयोग।
सजा 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 265 :- खोटे बाट या माप का कपटपूर्वक उपयोग।
सजा 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 267 :- खोटे बाट या माप बनाना या बेचना।
सजा – 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
अध्याय – 14 लोक स्वास्थ्य, क्षेम, सुविधा, शिष्टता और सदाचार को प्रभावित करने वाले अपराध
धारा 268 :- लोक न्यूसेंस।
(जन साधारण के लिए कोई बाधा उत्पन्न करना या उन्हें कोई क्षति पहुँचाना)
धारा 269 :- उपेक्षापूर्ण कार्य जिससे जीवन के लिए संकटपूर्ण रोग का संक्रमण फैलना सम्भाव्य हो।
सजा – 6 माह तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 279 :- लोक मार्ग पर उतावलेपन से वाहन चलाना।
सजा – 6 माह तक का कारावास या ₹1000 तक का जुर्माना या दोनों।
धारा 292 :- अश्लील पुस्तकों आदि का विक्रय।
प्रथम बार दोषसिद्धि पर सजा-2 वर्ष तक का कारावास और ₹2000 तक जुर्माना।
दूसरी बार दोषसिद्धि पर सजा-5 वर्ष तक का कारावास और ₹5000 तक जुर्माना।
धारा 294 :- अश्लील कार्य और गाने। सजा 3 माह तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
अध्याय- 15 धार्मिक अपराधों के विषय में
धारा 295:- किसी वर्ग के धर्म का अपमान करने के आशय से किसी उपासना स्थल को क्षति पहुँचाना।
सजा 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 296 :- धार्मिक जमाव में विघ्न डालना। सजा 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 298 :- धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुँचाने के लिए जानबूझकर कुछ विरोध सूचक शब्द उच्चारित करना।
सजा 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
अध्याय – 16 मानव शरीर पर प्रभाव डालने वाले अपराधों के विषय में
धारा 299 :- आपराधिक मानव वध।
धारा 300 :- हत्या।
नोट :- सभी हत्यायें मानव वध होते हैं किंतु सभी मानव वध हत्या नहीं होते।
● कब मानव वध को हत्या नहीं मानेंगे-
(1) गंभीर एवं अचानक प्रकोपन ।
(2) निजी सुरक्षा के अधिकार के प्रयोग में।
(3) लोक सेवक द्वारा अतिरेक ।
(4.) अचानक लड़ाई।
(5) सहमति द्वारा मृत्यु ।
धारा 301:- जिस व्यक्ति की मृत्यु कारित करने का आशय था, उससे भिन्न व्यक्ति की मृत्यु करके आपराधिक मानव वध।
धारा 302 :- हत्या के लिए दण्ड। सजा मृत्युदण्ड या आजीवन कारावास और जुर्माना ।
धारा 303 :- आजीवन कारावास होते हुए हत्या कारित कर देना। इसके लिए सजा मृत्युदण्ड होगी।
धारा 304 A:- उपेक्षा द्वारा मृत्यु कारित करना।
सजा 2 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 304 B :- दहेज मृत्यु।
सजा- 7 वर्ष से लेकर आजीवन कारावास तक ।
धारा 306 :- आत्महत्या का दुष्प्रेरण ।
सजा 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 307 :- हत्या करने का प्रयत्न ।
धारा 308 :- आपराधिक मानव वध करने का प्रयत्न ।
सजा – 7 वर्ष तक कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 309 :- आत्महत्या करने का प्रयत्न।
सजा 1 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 310 :- ‘ठग’ की परिभाषा ।
धारा 311 :- ठगी के लिए दण्ड।
सजा आजीवन कारावास + जुर्माना।
धारा 312 :- गर्भपात कारित करना।
सजा 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 313 :- स्त्री की सम्मति के बिना गर्भपात कारित करना।
सजा आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना भी देय होगा।
धारा 316 :- आपराधिक मानव वध की कोटि में आये सजीव शिशु (अजन्मा) की हत्या।
सजा 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 319 :- ‘उपहति’ की परिभाषा ।
धारा 320 :- घोर उपहति ।
उपहति की केवल निम्नलिखित किस्में घोर कहलाती हैं-
- पुंस्त्वहरण।
- किसी एक नेत्र या दोनों का विच्छेद ।
- किसी एक कान या दोनों का विच्छेद ।
- किसी भी अंग या जोड़ का विच्छेद।
- सिर या चेहरे का विद्रूपीकरण ।
- अस्थिभंग या दाँत भंग।
धारा 321:- स्वेच्छ्या से उपहति कारित करना।
धारा 322:- स्वेच्छ्या से घोर उपहति कारित करना।
धारा 323:- स्वेच्छ्या उपहति कारित करने के लिए दण्ड।
सजा 1 वर्ष तक का कारावास या ₹1000 तक का जुर्माना या दोनों।
धारा 324 :- आयुध सहित स्वेच्छया उपहति कारित करना।
सजा 3 वर्ष तक का कारावास या जुर्माना या दोनों।
धारा 325 :- स्वेच्छ्या घोर उपहति कारित करने के लिए दण्ड।
सजा 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 326 :- आयुध सहित स्वेच्छ्या घोर उपहति कारित करना।
सजा- आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 328 :- विष इत्यादि द्वारा उपहति कारित करना।
सजा- 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 330 :- सम्पत्ति के प्रत्यर्पण के लिए अथवा किसी अपराध की स्वीकृति के लिए किसी लोक सेवक द्वारा उसे विवश करने के लिए उपहति कारित करना।
सजा 7 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 339 :- सदोष अवरोध (निश्चित दिशा के लिए)
- विशेष दिशा में जाने से रोक।
धारा 340 :- सदोष परिरोध (किसी भी दिशा के लिए)
● चारों ओर से पूर्ण रोक ।
धारा 341:- सदोष अवरोध के लिए दण्ड। (1 माह तक कारावास या ₹500 तक जुर्माना या दोनों)
धारा 342 :- सदोष परिरोध के लिए दण्ड। (1 वर्ष तक का कारावास या ₹1000 तक जुर्माना या दोनों )
धारा 350 :- ‘आपराधिक बल’ की परिभाषा।
धारा 351 :- ‘हमले’ की परिभाषा ।
धारा 354:- स्त्री की लज्जा भंग करने के आशय से उस पर हमला या आपराधिक बल का प्रयोग।
सजा 1 वर्ष से लेकर 5 वर्ष तक कारावास और जुर्माना ।
धारा 354B : स्त्री को विवस्त्र करने का अपराध ।
सजा – 3 वर्ष से लेकर 7 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना ।
धारा 354 D:-स्त्री का पीछा करना।
सजा 3 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना।
धारा 359 :- ‘व्यपहरण’ की परिभाषा।
धारा 360 :- भारत में से व्यपहरण ।
(भारत की सीमाओं से बाहर ले जाना)
धारा 361:- विधिपूर्ण संरक्षकता में से व्यपहरण।
धारा 362 :- ‘अपहरण’ की परिभाषा ।
धारा 363 :- व्यपहरण के लिए दण्ड।
सजा 7 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना।
धारा 364 :- हत्या करने के लिए व्यपहरण या अपहरण ।
सजा आजीवन कारावास या 10 वर्ष तक का कठिन कारावास और जुर्माना।
धारा 366 :- विवाह आदि के लिए अपहरण या व्यपहरण ।
सजा 10 वर्ष तक का कारावास और जुर्माना।
धारा 366 A :- अप्राप्तवय लड़की का उपापन।
सजा- 10 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना।
धारा 366 B :- विदेश से लड़की आयात करना। (21 वर्ष से कम आयु की)
सजा- 10 वर्ष तक का कारावास + जुर्माना।
धारा 375 :- ‘बलात्संग’ की परिभाषा।
निम्न परिस्थितियाँ बलात्संग के अंतर्गत परिभाषित होंगी-
- स्त्री की सम्मति के बिना
- डर से या भय से
- शादी का बहकावा देकर
- पति होने के बहकावे में
- सम्मति से भी अगर उम्र 18 वर्ष से कम है।
- किसी गूंगी लड़की के साथ जो सम्मति देने में असमर्थ है।
धारा 376 :- बलात्संग के लिए दण्ड।
सजा 10 वर्ष से लेकर आजीवन कारवास तक (कठोर कारवास) और जुर्माना।
धारा 376 D :- सामूहिक बलात्संग।
सजा – बीस वर्ष का कठोर कारावास जो आजीवन कारावास तक हो सकता है और पीड़िता को भुगतान किया जाने वाला जुर्माना।
● UPSI दरोगा भर्ती 2025 मूलविधि 01 👇👇👇👇
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