UP Police SI 2025 Mool Vidhi CrPC Question

UP Police SI 2025 Mool Vidhi CrPC Question CrPC, जो आपराधिक कानूनों के क्रियान्वयन के लिए एक चरण-दर-चरण तंत्र प्रदान करता है, UPSI परीक्षा में एक महत्वपूर्ण विषय है. यह CrPC परीक्षा में भी शामिल है, जो CRPC के महत्व को दर्शाता है/ CrPC का मुख्य उद्देश्य अपराधियों पर मुकदमा चलाने, परीक्षण करने और दंडित करने के लिए एक ढांचा तैयार करना है /

● इस में CrPC के प्रश्न दिए गए हैं जो कि UPSI 2025 की Exam के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है आप इसे अच्छे से याद कर ले ऐसे ही टेस्ट डेली आप लोगों के लिए इस www.gyanseva24.com वेबसाइट पर अपलोड किए जाते हैं यह प्रश्न बहुत ही महत्वपूर्ण है जो कि आपका आने वाले सभी परीक्षाओं के लिए बहुत ही उपयोगी होंगे

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धारा 1 से 220 तक ऊपर दी गई link पर Click करे 🖕🖕🖕🖕

धारा 220 :- एक से अधिक अपराधों के लिए विचारण।

धारा 225 :- सत्र न्यायालय के समक्ष प्रत्येक विचारण में, अभियोजन का संचालन लोक अभियोजक द्वारा किया जाएगा।

धारा 226 :- अभियोजन के लिए मामला खोलना।

धारा 227 :- उन्मोचन (Dismiss)

यदि जज को लगता है कि इस मामले में कोई पर्याप्त आधार नहीं है तो उसे उन्मोचित किया जा सकता है।

धारा 228 :- आरोप विरचित करना।

धारा 229 :- दोषी होने का अभिवाक। (Self confession)

धारा 232 :- दोषमुक्ति ।

धारा 235 :- दोषमुक्ति या दोषसिद्धि का निर्णय।

धारा 259 :- समन मामलों को वारण्ट मामलों में संपरिवर्तित करने की न्यायालय की शक्ति ।

धारा 260 :- संक्षिप्त विचारण करने की शक्ति।

धारा 261 :- द्वितीय वर्ग के मजिस्ट्रेट द्वारा संक्षिप्त विचारण।

धारा 262 :- संक्षिप्त विचारण की प्रक्रिया।

संक्षिप्त विचारण समन मामलों का होता है और इस विचारण में सजा 3 माह से अधिक नहीं होगी।

धारा 270:- बंदी को न्यायालय में प्रतिरक्षा में लाया जाएगा।

धारा 272 :- न्यायालयों की भाषा । (उच्च एवं उच्चतम न्यायालय को छोड़कर)

धारा 275 :- वारंट मामले का अभिलेख (वृतान्त, प्रश्नोत्तर)

धारा 277:- साक्षी के अभिलेख की भाषा। (वह जिस भी भाषा में कहेगा वही लिखी जायेगी)

धारा 280 :- साक्षी की भावभंगिमा को अभिलिखित करने का उपबन्ध ।

धारा 291 :- मेडिकल गवाह का बयान। (डॉक्टर से कोर्ट में प्रश्न किया जायेगा और न्यायालय में बुलाया जायेगा)

धारा 293 :- कतिपय सरकारी वैज्ञानिकों की रिपोर्ट।

धारा 299 :- जब अभियुक्त उपस्थित न हो तब साक्ष्य का अभिलेख ।

● अभियुक्त के फरार होने की स्थिति में।

धारा 300:- एक बार दोषसिद्ध या दोषमुक्त किये जाने के बाद उसी अपराध का पुनः विचारण नहीं किया जाएगा।

धारा 304 :- अभियुक्त को कुछ मामलों में राज्य द्वारा विधिक सहायता ।

धारा 306 :-सह-अपराधी को क्षमादान ।

धारा 313 :-अभियुक्त की परीक्षा करने की शक्ति।

धारा 314 :- मौखिक बहस और ज्ञापन।

धारा 317 :- अभियुक्त की अनुपस्थिति में जाँच ।

धारा 320 :- अपराधों का शमन ।

धारा 327 :- न्यायालय का खुला होना।

धारा 328 :- अभियुक्त के पागल होने की दशा में प्रक्रिया।

धारा 330 :- अन्वेषण या विचारण के लम्बित होने पर पागल का छोडा जाना।

धारा 334 :- अभियुक्त के पागल होने पर दोषमुक्ति का निर्णय।

धारा 339 :- रिश्तेदार या मित्र की देख रेख में पागल को सौंपा जाएगा।

धारा 350 :- समन के मामलों में साक्षी के हाजिर न होने पर दण्ड प्रक्रिया।

धारा 353 :-निर्णय (Judgement)

धारा 355 :- महानगर मजिस्ट्रेट का निर्णय।

धारा 357 :- प्रतिकर (क्षतिपूर्ति) दिये जाने के आदेश।

धारा 357 (c) :- पीड़ितों का उपचार ।

● निःशुल्क चिकित्सकीय व्यवस्था प्रदान की जायेगी।

धारा 358 :- निरपराध व्यक्ति को प्रतिकर। (1000₹ मात्र)

● यदि दूसरा पक्ष यह प्रतिकर नहीं देता है तो उसे 30 दिन का कारावास होगा।

धारा 362 :- न्यायालय के निर्णय में परिवर्तन नहीं हो सकता।

अपवाद-गणितीय भूल या लिपिकीय भूल।

धारा 366:- सेशन न्यायालय द्वारा मृत्यु दण्डादेश का पुष्टि के लिए प्रस्तुत किया जाना।

धारा 369:- नये दण्डादेश के लिए कम से कम 2 जजों की पुष्टि की आवश्यकता होती है।

धारा 376 :- छोटे मामलों में अपील का न होना।

धारा 377 :- राज्य सरकार द्वारा दण्डादेश के विरूद्ध अपील ।

धारा 384 :- अपील का खारिज किया जाना।

धारा 393 :- फैसले पर अंतिम तिथि और अपील पर आदेश।

धारा 395 :- उच्च न्यायालय को निर्देश।

धारा 397 :- पुनरीक्षण की शक्तियों का प्रयोग करने के लिए अभिलेख मांगना।

धारा 401 :- उच्च न्यायालय की पुनरीक्षण की शक्तियाँ।

● दोषसिद्धि को दोषमुक्ति में परिवर्तन कर सकता है।

● दोषमुक्ति को दोषसिद्धि में तब्दील कर सकता है।

धारा 406 :- मामलों और अपीलों को अन्तरित करने की सर्वोच्च न्यायालय की शक्ति ।

● मामले को एक हाईकोर्ट से दूसरे हाईकोर्ट में ट्रांसफर करना, जब निष्पक्ष न्याय की आशा न हो।

धारा 407 :- मामलों और अपीलों को अन्तरित करने की उच्च न्यायालय की शक्ति।

● मामले को एक सेशन कोर्ट से दूसरे सेशन कोर्ट में ट्रांसफर करना, जब निष्पक्ष न्याय की आशा न हो।

धारा 408 :- मामलों और अपीलों को अन्तरित करने की सेशन न्यायालय की शक्ति ।

● एक मजिस्ट्रेट से दूसरे पर ट्रांसफर ।

धारा 414 :- उच्च न्यायालय द्वारा दिये मृत्युदण्डादेश का निष्पादन । 

धारा 433 :- दण्डादेश के लघुकरण की शक्ति ।

● न्यायालय चाहे तो सामान्य सजा को जुर्माने में तब्दील कर सकता है।

● आजीवन कारावास को कम से कम 14 वर्ष में तब्दील कर सकता है।

धारा 436 :- किन मामलों में जमानत ली जाएगी।

धारा 439 :- जमानत के बारे में उच्च न्यायालय या सेशन न्यायालय की विशेष शक्तियाँ।

धारा 466 :- त्रुटि या गलती होने पर कुर्की को अवैध नहीं माना जाएगा।

धारा 469 :- परिसीमा काल कब शुरू होगा।

● जिस दिन अपराध का ज्ञान हो जाए अर्थात अपराध की तारीख ज्ञात हो।

● जब अपराध की जानकारी न हो कि वह किस तिथि को हुआ है तो-जब पुष्टि हो जाए अर्थात रिपोर्ट दर्ज हो जाए।

धारा 473 :- परिसीमा काल का विस्तारण। (जब न्याय हित के लिए अत्यंत आवश्यक हो)

धारा 477 :- उच्च न्यायालय की नियम बनाने की शक्ति ।

धारा 482 :- उच्च न्यायालय की अन्तर्निहित शक्तियाँ।

धारा 484 :- ‘दण्ड प्रक्रिया संहिता, 1898’ इसके द्वारा निरसित की जाती है।

Umesh Yadav

पिछले 2 व अधिक सालों से जीवित, सजीव, बेबाक और ठोस लेखनी की छाप छोड़ते आये इंजीनियर उमेश यादव, जिला फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। आगरा विश्वविघालय से B.A और UPBTE से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा (ME) और UPBTE से B.Tech (ME)करने के बाद आजकल फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश मे रहते हुए स्वतंत्र लेखन कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व समर्पित है। सरकारी नौकरी, प्राईवेट नौकरी, के सभी विषय बार + Chepter Wise Study material सहित अन्य सभी विषयों पर गंभीर, जुझारू और आलोचनात्मक / समीक्षात्मक लेखनी के लिए इंजीनियर उमेश यादव कई बार विवादों का शिकार होते हुए निडरतापूर्वक लेखन करने के लिए जाने जाते है।

 

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 IPC मूलविधि 01 

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 IPC मूलविधि 02 

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 IPC मूलविधि 03

 

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पिछले 2 व अधिक सालों से जीवित, सजीव, बेबाक और ठोस लेखनी की छाप छोड़ते आये इंजीनियर उमेश यादव, जिला फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। आगरा विश्वविघालय से B.A और UPBTE से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा (ME) और UPBTE से B.Tech (ME)करने के बाद आजकल फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश मे रहते हुए स्वतंत्र लेखन कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व समर्पित है। सरकारी नौकरी, प्राईवेट नौकरी, के सभी विषय बार + Chepter Wise Study material सहित अन्य सभी विषयों पर गंभीर, जुझारू और आलोचनात्मक / समीक्षात्मक लेखनी के लिए इंजीनियर उमेश यादव कई बार विवादों का शिकार होते हुए निडरतापूर्वक लेखन करने के लिए जाने जाते है।

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