UPSI 2025 Mool Vidhi Chapterwise: राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980

UPSI 2025 Mool Vidhi Chapterwise: राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980 यूपीएसआई मुल विधी प्रश्न, या उप -इंस्पेक्टर मुल विधी प्रश्न, बुनियादी कानून और न्यायशास्त्र से संबंधित प्रश्नों को देखें जो आमतौर पर उत्तर प्रदेश सब इंस्पेक्टर (यूपीएसआई) परीक्षा में पाए जाते हैं। ये प्रश्न एक पुलिस अधिकारी की भूमिका के लिए प्रासंगिक कानूनी अवधारणाओं और सिद्धांतों के बारे में उम्मीदवारों की समझ का आकलन करते हैं।

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UPSI 2025 Mool Vidhi Chapterwise: राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, 1980

राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980

● राष्ट्रीय सुरक्षा कानून अर्थात ‘रासुका’ देश की सुरक्षा के लिए सरकार को अधिक आर्थिक शक्ति प्रदान करने से सम्बन्धित एक कानून है, इसके तहत ऐसे व्यक्ति पर निरोधक की कार्यवाही की जाती है. जिसके द्वारा देश की एकता, अखण्डता, कानून व्यवस्था और सामान्य व्यवस्था को खतरा हो यह कानून केन्द्र तथा राज्य सरकार को गिरफ्तारी का आदेश देता है।

● राष्ट्रीय सुरक्षा कानून 23 सितम्बर 1980 को प्रधानमंत्री इन्दिरा गाँधी के द्वितीय शासन काल के दौरान राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी द्वारा जारी एक अध्यादेश में लागू किया गया था तथा यह 27 दिसम्बर 1980 को संसद द्वारा पारित होकर एक कानून बनाया गया था।

● इस अधिनियम में कुल 18 धाराएँ है ।

धारा 1 :- संक्षिप्त नाम एवं विस्तार

इस अधिनियम का संक्षिप्त नाम “राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम 1980” है। इसका विस्तार सम्पूर्ण भारत पर है।

धारा 2 :- महत्वपूर्ण पदों की परिभाषायें

धारा 3 :- विशेष व्यक्ति के निरोध के लिये आदेश बनाने की शक्तिइसके अन्तर्गत केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार किसी ऐसे संदिग्ध व्यक्ति पर जिसके सम्बन्ध में वह सन्तुष्ट है कि उसके द्वारा देश की सुरक्षा व प्रतिरक्षा को प्रभावित किया जा सकता है या ऐसे विदेशी व्यक्ति पर जो अपनी पहचान को छुपाने का प्रयास करते हुये देश में निवास कर रहा हो अथवा किसी ऐसे व्यक्ति जिससे लोक व्यवस्था को खतरा हो, अथवा

● किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा, जिससे आवश्यक सेवा एवं पूर्ति की व्यवस्था बनाये रखने में बाधा उत्पन्न होने की सम्भावना हो, उस पर रासुका के तहत कार्यवाही की जा सकती है।

● यदि राज्य सरकार निरुद्ध व्यक्ति की गिरफ्तारी का समर्थन न करे, तो 12 दिन के बाद उसे छोड़ दिया जायेगा।

● राज्य सरकार द्वारा केन्द्र सरकार को निरूद्ध व्यक्ति की गिरफ्तारी की सूचना 7 दिन के अन्दर देनी होगी।

धारा 7 :- फरार व्यक्तियों के सम्बन्ध मे शक्तियाँ

जिस व्यक्ति के संबंध मे निरोध – आदेश किया गया है यदि वह व्यक्ति फरार हो गया है अथवा स्वयं को छिपा रहा है जिससे दिये गये आदेश का निष्पादन नहीं हो सकता, तो वह सरकार या अधिकारी, पहले उस तथ्य की लिखित रिपोर्ट उस महानगर मजिस्ट्रेट अथवा न्यायिक मजिस्ट्रेट को सूचित करेगा।

● फरार व्यक्ति के उपस्थित न होने पर कुर्की एवं अन्य कार्यवाही की जायेगी।

धारा 8 :- आदेश द्वारा प्रभावित होने वाले व्यक्ति को निरोध-

आदेश के आधारों का प्रकट किया जाना।

● जब कोई व्यक्ति निरोध – आदेश के पालन पर निरुद्ध किया गया हो, तो आदेश बनाने वाले प्राधिकारी यथा शीघ्र लेकिन निरोध के दिनांक से 5 दिन के अन्दर और असाधारण परिस्थितियों में और ऐसे कारणों से, जो लेख बद्ध किये जायेंगे 15 दिन के अन्दर उसे वे आधार संसूचित करेंगे जिन पर वह आदेश बनाया गया हो तथा उसे समुचित सरकार से उस आदेश के विरुद्ध आवेदन देने का उसे शीघ्र अवसर देगें।

धारा 9 :- सलाहकार या परामर्शदात्री बोर्डों का गठन-

इसके अन्तर्गत सलाहकार अथवा न्यायिक बोर्ड के गठन का प्रावधान किया गया है।

● केन्द्र सरकार अथवा राज्य सरकार आवश्यकता के अनुसार इस अधिनियम के प्रयोजनों के लिये एक अथवा एक से अधिक सलाहकार बोर्ड का गठन करेगी।

● सलाहकार बोर्ड मे तीन सदस्य होगे, जो किसी उच्च न्यायालय में न्यायधीश रह चुके हो अथवा उच्च न्यायालय में न्यायधीश नियुक्त होने की योग्यता रखते हो।

● इनकी नियुक्ति समुचित सरकार द्वारा की जायेगी तथा अध्यक्ष का चुनाव इन्हीं सदस्यों में से होगा।

धारा 10 सलाहकार बोर्डों के निर्देश :- इसके अन्तर्गत 3 सप्ताह के भीतर सरकार द्वारा रासुका की सूचना न्यायिक बोर्ड के पास भेजी जायेगी तथा न्यायिक बोर्ड इसके आधारों का परीक्षण करेगा तथा इसकी सुनवाई गोपनीय रखी जायेगी और वकील रखने की अनुमति नहीं दी जायेगी।

धारा 11:- सलाहकार बोर्ड की प्रक्रिया इसके अन्तर्गत न्यायिक बोर्ड अथवा सलाहकार बोर्ड द्वारा 7 सप्ताह के भीतर अपनी कार्यवाही की सूचना सरकार को दी जायेगी।

धारा 12 सलाहकार बोर्ड की रिपोर्ट पर कार्यवाहीः-

● न्यायिक बोर्ड यदि रासुका के आधारों को सही पाती है। तथा कार्यवाही करने से भी सहमत हो तो उस स्थिति में सरकार द्वारा कार्यवाही जारी रखी जा सकती है। परन्तु यदि न्यायिक बोर्ड रासुका के आधारों को अवैध ठहरा देता है, तो तत्काल रासुका की कार्यवाही समाप्त हो जायेगी।

धारा 13 निरोध की अधिकतम अवधि :-

● इसके अन्तर्गत निरोध आदेश के अनुसरण में किसी व्यक्ति को जिस अधिकतम अवधि तक निरुद्ध किया जा सकता है वह निरोध की तारीख से 12 माह होगी।

(विशेष परिस्थितियों में यह अवधि बढाई जा सकती है।

धारा 14 (क) कुछ विशेष परिस्थितियां जिनमें व्यक्तियों को सलाहकार बोर्ड की राय प्राप्त किये बिना 3 माह से अधिक अवधि के लिये निरुद्ध किया जा सकता है।

● आतंकवादी व विध्वसक क्रिया-कलापों से निपटने में सरकार के प्रयासों में हस्तक्षेप करने पर भारत की रक्षा, प्रतिरक्षा राज्य की सुरक्षा एवं लोक व्यवस्था बनाये रखने तथा आवश्यक सेवाओं, को बनाये रखने पर प्रतिकूल प्रभाव डालने वाली रीति से कार्य की दृष्टि से निरुद्ध किया गया हो।

धारा 15 :- निरुद्ध व्यक्तियों को अस्थायी रूप से छोड़ जाना-

● समुचित सरकार किसी भी समय निर्देश निरूद्ध व्यक्तियों को अस्थायी रूप से छोड़े जाने का आदेश दे सकती है और उसके छोड़े जाने पर वह किसी भी समय अपने आदेश को रद्द कर सकती है।

● किसी व्यक्ति के छोड़े जाने के निर्देश देते समय, समुचित सरकार उससे अपेक्षा कर सकती है कि वह निर्देश में विनिर्दिष्ट शर्तों के उचित अनुसरण के लिये प्रतिभाओं सहित अथवा उनके बिना बंधपत्र निष्पादित करे।

● छोड़ा गया कोई व्यक्ति स्वयं को उस समय तथा स्थिति स्थान पर एवं उस प्राधिकारी के समक्ष अभ्यर्पित करेगा जो, यथा स्थिति उसके छोड़े जाने का निर्देश देने वाले अथवा उसका छोड़ा जाना रद्द करने वाले आदेश मे विनिर्दिष्ट हो।

● यदि उचित कारण के बिना कोई व्यक्ति विनिर्दिष्ट रीति से स्वयं को अभ्यर्पित करने में असफल रहता है, तो उसे दो वर्ष का कारावास या जुर्माना या 2 वर्ष का कारावास और जुर्माना दोनों दण्ड के रूप में दिये जा सकते है।

धारा 16 :- सद्भावना पूर्वक कार्यवाही के लिये संरक्षण रासुका के तहत कार्य करने वाले अधिकारी और कर्मचारियों को सरकार का संरक्षण दिया जायेगा अर्थात उनके खिलाफ कोई न्यायिक कार्यवाही नहीं की जायेगी कि उसने गलत कार्यवाही की है। (यह सद्भाव पूर्वक की गई कार्यवाही के लिये संरक्षण है)

● आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था अधिनियम (Maintenance of Internal Security Act), MISA यह अधिनियम 1971 में कांग्रेस की सरकार में भारतीय संसद द्वारा पारित किया गया, तथा जनता पार्टी की सरकार 1977 मे इसे समाप्त कर दिया गया।

● TADA (Terrorist and disruptive Activities (Prevention) Act) यह अधिनियम 1985 में लाया गया तथा 1995 में इसे समाप्त (अप्रभावी) कर दिया गया।

● इसे बढ़ती आतंकवादी एवं विध्वसकारी गतिविधियों के रोकथाम के लिये लाया गया।

● POTA (Prevention of Terrorism Activites Act) यह अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में 2002 में लागू किया गया तथा 2004 में समाप्त (अप्रभावी) कर दिया गया।

● UAPA: (Unlawful Activities (Prevention) Act) गैर कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, यह अधिनियम 1967 में लागू किया गया। यह गैर-कानूनी गतिविधियों की रोकथाम से सम्बन्धित अधिनियम है। गैर-कानूनी गतिविधियां (रोकथाम) संशोधन अधिनियम 2019 ने केन्द्र सरकार के लिये किसी भी औपचारिक न्यायिक प्रक्रिया का अनुसरण किये बिना व्यक्तियों को आतंकवादी के रूप में नामित करना संभव बना दिया है।

● U.A.P.A को ‘आतंकवाद विरोधी कानून’ के रूप में जाना जाता है।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (National Investigation Agency)

● राष्ट्रीय जाँच एजेंसी का गठन भारत सरकार द्वारा देश मे आतंकवादी गतिविधियों से निपटने हेतु किया गया है।

● यह देश मे केन्द्रीय आतंकवाद कानून प्रवर्तन एजेंसी के रूप मे कार्य करती है।

● NIA को राज्यों से विशेष अनुमति लिये बिना राज्यों मे आतंकवाद संबंधी गतिविधियों से निपटने के लिये अधिकृत किया गया है।

● वर्ष 2008 में मुंबई मे हुये भीषण आतंकी हमले के बाद आतंकवाद से निपटने के लिये केन्द्रीय एजेन्सी की आवश्यकता महसूस की गई तथा राष्ट्रीय जांच एजेंसी का गठन किया गया।

● N.I.A का कार्य देश मे आतंकवादी गतिविधियों को रोकना तथा देश मे आतंकवाद को समाप्त करना है इसके लिये इसे असीमित अधिकार दिये गये है।

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पिछले 2 व अधिक सालों से जीवित, सजीव, बेबाक और ठोस लेखनी की छाप छोड़ते आये इंजीनियर उमेश यादव, जिला फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। आगरा विश्वविघालय से B.A और UPBTE से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा (ME) और UPBTE से B.Tech (ME)करने के बाद आजकल फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश मे रहते हुए स्वतंत्र लेखन कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व समर्पित है। सरकारी नौकरी, प्राईवेट नौकरी, के सभी विषय बार + Chepter Wise Study material सहित अन्य सभी विषयों पर गंभीर, जुझारू और आलोचनात्मक / समीक्षात्मक लेखनी के लिए इंजीनियर उमेश यादव कई बार विवादों का शिकार होते हुए निडरतापूर्वक लेखन करने के लिए जाने जाते है।

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