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UP Police SI 2025 Moolvidhi Previous Year Question: आयकर अधिनियम, 1961
● आयकर अधिनियम, 1961 का विस्तार सम्पूर्ण भारत में किया गया है। यह अधिनियम 1 अप्रैल, 1962 को लागू हुआ। आयकर अधिनियम, 1961 के अन्तर्गत कुल 23 अध्याय, 298 धाराएँ तथा 14 अनुसूचियाँ शामिल है।
धारा 1 :- अधिनियम का नाम एवं विस्तार के विषय में
धारा 2 :- में अधिनियम के महत्वपूर्ण पदों की परिभाषाओं के विषय में उपबंध किया गया है।
धारा 2 (1-क) :- कृषि आय से संबंधित है।
धारा 2 (1-ग) :- अपर आयुक्त से संबंधित उपंबधों के विषय में।
धारा 2 (1-घ) :- अपर निदेशक से संबंधित उपबंधों के विषय में।
धारा 2 (9) :- में निर्धारण वर्ष’ में 12 माह की अवधि होती है जो प्रत्येक वर्ष 1 अप्रैल से शुरू होती है।
धारा 2 (13) :- में ‘व्यापार’ को परिभाषित किया गया है।
धारा 2 (17) :- में ‘कम्पनी’ को परिभाषित किया गया है।
धारा 2 (21) :- में ‘महानिदेशक या निदेशक’ को परिभाषित किया गया है।
धारा 2 (24):- ‘आय’ के विषय में प्रावधान किया गया है।
धारा 2 (26) :- ‘भारतीय कम्पनी’ के विषय में प्रावधान।
धारा 2 (28) :- ‘आयकर निरीक्षक’ के विषय में प्रावधान ।
धारा 2 (31) :- ‘व्यक्ति’ को परिभाषित करता है।
धारा 2 (37) :- ‘लोक सेवक’ शब्द को परिभाषित करती है।
धारा 2 (49) :- ‘कर’ के विषय में उपबंध
धारा 3 :- में ‘पूर्व वर्ष’ को परिभाषित किया गया है। निर्धारण वर्ष से ठीक पहले आने वाले वित्तीय वर्ष को ‘पूर्व वर्ष’ कहते है।
धारा 5 :- में ‘कुल आय की परिधि’ के विषय में ऐसे व्यक्ति (जो निवासी या अनिवासी है) की, पूर्व वर्ष की कुल आय (किसी भी स्त्रोत से प्राप्त) समझी जाए।
धारा 6 :- कोई भी व्यक्ति पूर्व वर्ष में भारतीय निवासी कहा जाता है, यदि –
(A) पूर्व वर्ष में 182 दिन या इससे अधिक दिनों तक भारत में रहा हो।
(B) पूर्व वर्ष से 4 वर्ष में 365 दिन या इससे अधिक दिनों तक भारत में रहा हो और साथ ही पूर्व वर्ष में 60 दिन या इससे अधिक दिनों तक भारत में रहा हो।
धारा 10 :- के अनुसार कृषि आय को किसी व्यक्ति की पूर्व वर्ष की कुल आय की गणना में सम्मिलित नही किया जाएगा।
धारा 11 :- धार्मिक प्रयोजनों के लिए धारित किया गया धन व्यक्ति की पूर्व वर्ष की कुल आय में सम्मिलित नही किया जाऐगा। यह धन कुल आय के 15% से अधिक नहीं होगा।
धारा 13 (क) :- राजनैतिक दल की आय जिसमें ‘पूँजी अभिलाभ’ गृह सम्पत्ति से आय’ तथा ‘अन्य स्त्रोतों से आय’ तथा किसी व्यक्ति से प्राप्त स्वैच्छिक रूप से दी गई आय को राजनैतिक दल की पूर्व वर्ष की आय में शामिल नही किया जाएगा।
धारा 14 :- आय की गणना तथा आयकर प्रभार के लिए कारोबार या वृतिक अभिलाभ, वेतन, पूँजी अभिलाभ, गृह संपत्ति तथा अन्य स्त्रोतों से आय सम्मिलित है। इसमें कृषि आय सम्मिलित नहीं होती है।
धारा 15 :- वेतन में सम्मिलित होने वाले विभिन्न वेतन का वर्णन किया गया है। जैसे-
(अ) संदत्त वेतन
(ब) पूर्व संदत्त वेतन या अनुज्ञात वेतन
(स) संदत्त या अनुज्ञात वेतन की बकाया राशि
धारा 17 :- इस धारा के अनुसार सरकारी भत्ते इत्यादि की कटौती जिसमें वेतन का 5वाँ भाग या 5,000 रू0 से अधिक शामिल नहीं होगा।
● इस धारा में ‘वेतन’, ‘वेतन’ के बदले लाभ’ तथा ‘परिलब्धि’ (कमीशन, फीस, बीमा, टेलीफोन) आदि शामिल है।
धारा 22 :- गृह सम्पत्ति से प्राप्त आय के विषय में प्रावधान किया गया है।
धारा 23 :- के अन्तर्गत वार्षिक मूल्य का निर्धारण और अवधारणा निर्धारित है।
● किसी भवन या भूमि की सम्पत्ति का वार्षिक मूल्य जिसका कर दाता मालिक हो वह राशि ‘गृह सम्पत्ति से आय’ के तहत योग्य है।
धारा 64 :- किसी व्यक्ति की आय गणना में पति या पत्नी अव्यस्क संतान तथा सौतेली संतान की आय भी सम्मिलित होगी।
धारा 69 (घ) हुंडी पर उधार ली गई या वापस की गयी राशि, उधार लेने या वापस करने वाले व्यक्ति की आय समझी जाएगी।
धारा 80 (ग) :- बीमा की राशि में कटौती के विषय में प्रावधान करती है। कटौती की कुल राशि किसी भी दशा में 1,50,000 रू से अधिक नहीं होगी।
धारा 80 (घ) :- स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम में छूट का प्रावधान करती है।
धारा 80 (ड़) :- उच्च शिक्षा के लिए लोन में कटौती छूट का प्रावधान करती है।
धारा 80 (छ) :- दान के विषय में कटौती संबंधी प्रावधान करती है, जैसे- प्रधानमंत्री राहत कोष…….. इत्यादि ।
धारा 80 (प) :- निःशक्त व्यक्ति की कुल आय में छूट का प्रावधान किया गया है।
धारा 88 :- जीवन बीमा प्रीमियम तथा भविष्य निधि में कटौतियों से संबंधित ।
धारा 90 :- आयकर या अधिकार एकत्रित और प्रतिधारित करना केन्द्र सरकार के अधीन होता है।
धारा 116 :- आयकर प्राधिकारियों के वर्ग विषय में प्रावधान किया गया है। (वित्त मंत्रालय के अधीन होते है।)
धारा 117 :- आयकर प्राधिकारियों की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित की गई है।
धारा 136 :- के अनुसार आयकर अधिकारी समक्ष की गई आयकर अधिनियम के अधीन की गई कार्यवाही आई.पी.सी की धारा 193, 228 व 196 के अन्तर्गत एक न्यायिक कार्यवाही मानी जाती है।
धारा 139 (क) :- में स्थायी खाता संख्यांक का प्रावधान किया गया है।
● प्रत्येक व्यकित की पिछले वर्ष की उसकी कुल आय या किसी या अन्य व्यक्ति की कुल आय, जिसके संबंध में इस अधिनियम के तहत मूल्यांकन योगय है, अधिकत्तम राशि से अधिक हो गई है, जो आयकर के लिए प्रभार्य नहीं हैं।
धारा 159 :- यदि निर्धारिती की मृत्यु हो जाए, तो विधिक प्रतिनिधि (निर्धारिती का उत्तराधिकारी) राशि के संदाय का दायित्व निभायेगा।
धारा 176 :- बन्द किये गये व्यापार व कारोबार के विषय में प्रावधान किया गया है।
धारा 178 :- यदि कोई कम्पनी किसी समापक या रिसीवर का निर्धारण करती है, तो इसकी नियुक्ति की सूचना 30 दिनों के अन्दर देना अनिवार्य होगा।
धारा 194 (ख) :- के अनुसार यदि किसी व्यक्ति को लॉटरी क्रॉसवर्ड पहेली या कार्ड गेंम में जीती गई राशि प्राप्त है, तो इस राशि पर आयकर देय है यदि राशि 10000 से अधिक है।
धारा 237 :- यदि किसी व्यक्ति द्वारा अदा की गई राशि प्रभार्य राशि से अधिक है और उसका समाधान निर्धारण अधिकारी द्वारा करा दिया गया है, तो वह व्यक्ति रिफंड (प्रतिदाय) का हकदार होगा।
धारा 245 (ख) :- के अन्तर्गत आयकर समझौता आयोग का गठन केन्द्र सरकार द्वारा गठित किया जाएगा।
● आयकर समझौता आयोग का अध्यक्ष, उपाध्यक्ष व 2 अन्य सदस्य के रूप में किसी भी उच्च न्यायायलय का न्यायाधीश, जिसे 7 वर्ष के कार्य का अनुभव हो, चुना जाएगा।
धारा 249 :- में अपील का प्रपत्र और परिसीमा के विषय में प्रावधान किया गया है।
अपील के लिए राशि-
● एक लाख रूपये तक की अपील के लिए शुल्क 250 रू
● एक लाख शुल्क 2 लाख रुपये तक की अपील 500 रूपये
● दो लाख से अधिक तक की अपील 1000 रु शुल्क
धारा 252 :- के अन्तर्गत अपीलीय प्राधिकरण का गठन किये जाने का प्रावधान।
● इसका गठन संबंधित दिनांक के 30 दिन के अन्दर किया जाएगा।
धारा 260 (क) :- उच्च न्यायालय में अपील करने से सम्बंधित प्रावधान किये गये है।
अपील संबंधित दिनॉक के 120 दिन के अन्दर करना अनिवार्य है।
धारा 263 :- में पुनरीक्षण की परिसीमा आदेश की दी गई दिनाँक से 2 वर्ष तक निर्धारित है।
धारा 275 (ख) :- में धारा 132 (1) में दिये गये किसी भी उपबंध के उल्लंघन करने पर दो वर्ष का कठोर कारावास तथा जुर्माना के विषय में प्रावधान किया गया है।
धारा 276 (ख) :- यदि संग्रहित कर केन्द्रीय खाते में जमा करने में असफल रहता है, तो 3 माह से 7 वर्ष तक का कारावास निर्धारित तथा जुर्माना
धारा 276 (ग) :- कुछ अन्य अवस्थाओं में राशि के कर अपवंचन के लिए 3 माह से 2 वर्ष तक के कठोर कारावास और जुर्माने का प्रावधान है।
धारा 278 :- मिथ्या विवरिणी प्रस्तुत करने पर 6 माह से 7 वर्ष तक के कारावास का प्रावधान किया गया है।
धारा 280 (क) :- के अन्तर्गत विशेष न्यायालयों के गठन से संबंधित प्रावधान, उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायमूर्ति के परामर्श पर की जाती है।
● काला धन पर अंकुश लगाने के उद्देश्य से काला धन (अघोषित विदेशी आय और सम्पत्ति) तथा आयकर का अधिरोपण अधिनियम, 2015 पारित किया गया था।

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 मूलविधि- भ्रस्टाचार निवारण अधिनियम, 1988

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 Hindi PYQ 14 November 2021 Shift-1
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