UP SI Previous Year Paper with solution

UP SI Previous Year Paper with solution उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती को लेकर काफी उम्मीदवार उत्सुक रहते हैं और इस बार भी ऐसा कुछ होने वाला है जहां पर भारी मात्रा में सब इंस्पेक्टर की भर्ती आने वाली है। जिसकी तैयारी के लिए इस आर्टिकल में उपलब्ध कराये गए UP SI Previous Year Paper in Hindi को आसानी से आप डाउनलोड कर सकते हैं।

इस आर्टिकल की मदद से हम प्रत्येक उम्मीदवार को उत्तर प्रदेश पुलिस सब इंस्पेक्टर प्रीवियस क्वेश्चन पेपर 2021 Moolvidhi question उपलब्ध करा रहे हैं। यदि आपको उत्तर प्रदेश पुलिस सब इंस्पेक्टर प्रीवियस क्वेश्चन पेपर की पीडीएफ चाहिए तो आप निचे दिए गए Teligram लिंक से डाउनलोड कर सकते हैं।

UPSI 2025 Moolvidhi:- सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

● ऐसे अपराध जहाँ कंप्यूटर, अपराध का एक माध्यम हो या अपराध करने के लिए कंप्यूटर एक उपकरण के रूप में प्रयोग किया जाए, साइबर अपराध कहलाते हैं। इन साइबर अपराधों की रोकथाम के लिए ही सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम अस्तित्व में आया।

साइबर अपराधः – कंप्यूटर और इंटरनेट के दुरुपयोग से जो अपराध होते हैं। उन सभी अपराधों को साइबर अपराध कहते हैं।

● साइबर अपराध ऑनलाइन जुए के माध्यम से, जालसाजी, दुष्प्रचार, पासवर्ड की चोरी, वेबसाइट के साथ छेड़छाड़ कर सूचनाओं की चोरी आदि करके किया जाता है।

● साइबर अपराधों को करने के लिए किन-किन चीजों का इस्तेमाल किया जाता है।

1. हैकिंग:- हैकिंग दो प्रकार की होती है।

1. नैतिक हैकिंग

2. अनैतिक हैकिंग

1.नैतिक हैकिंग:- जब कोई शख्स किसी व्यक्ति या संस्था के कंप्यूटर के सिस्टम को इस उद्देश्य के लिए हैक करता है कि वह उनकों मदद पहुँचा सके, तो इस प्रकार की हैकिंग को नैतिक हैकिंग कहा जाता है। इस हैकिंग को व्हाइट हैट हैकिंग भी कहते है।

● इस नैतिक हैकिंग को एथिकल हैकिंग भी कहा जाता है तथा जो व्यक्ति एथिकल हैकिंग करता है उस व्यक्ति को व्हाइट हैट हैकर कहते है।

2. अनैतिक हैकिंग:- जब कोई शख्स किसी व्यक्ति या संस्था के कंप्यूटर सिस्टम को इस उद्देश्य के लिए हैक करता है कि वह उनके कंप्यूटर सिस्टम से सूचनाओं को उनकी बिना सहमति के चुरा सके, तो इस प्रकार की हैकिंग को ‘अनैतिक हैकिंग’ कहते है। इस अनैतिक हैकिंग को ‘ब्लैक हैट हैकिंग’ कहते है।

● जो व्यक्ति अनैतिक हैकिंग करता है उसे ब्लैक हैट हैकर कहते हैं।

बौद्धिक सम्पदा अधिकार

व्यक्तियों को उनके बौद्धिक सृजन के लिए प्रदान किए जाने वाले अधिकार ही बौद्धिक संपदा अधिकार कहलाते हैं।

1. कॉपीराइट :- किताबों, मूर्तिकला, चित्रकला, सिनेमा, संगीत, कंप्यूटर प्रोग्राम एवं डाटाबेस, विज्ञापन मानचित्र और तकनीकी चित्राकंन कॉपीराइट अधिकार के अंतर्गत आते हैं। कॉपीराइट अधिकारों के लिए वर्ष 1957 में कॉपीराइट अधिनियम, 1957 लाया गया।

2. ट्रेडमार्कः- एक ऐसा चिन्ह जिससे किसी एक उद्योग की वस्तुओं और सेवाओं को, दूसरे उद्योग की वस्तुओं एवं सेवाओं से पृथक या अलग किया जा सके, ट्रेडमार्क कहलाता है। भारत में ट्रेडमार्क का पंजीकरण ट्रेडमार्क अधिनियम 1999 द्वारा होता है। यह एक पहचाने जाने योग्य प्रतीक होता है।

3. पेटेंटः- भारत में पेटेंट अधिनियम वर्ष 1970 में आया था। किसी आविष्कारकर्ता को उसके आविष्कार के लिए दिया जाने वाला अनन्य अधिकार पेटेंट कहलाता है। एक बार पेटेंट अधिकार प्राप्त होने पर इसकी अवधि, पेटेंट दर्ज की तिथि से 20 वर्षों के लिए होती है।

4. औद्योगिक डिजाइन- डिज़ाइन अधिनियम, 2000 के तहत ‘डिजाइन’ से अभिप्राय है- आकार, विन्यास, प्रारूप, अनुक्रम, रेखाओं या वर्णों का ऐसा संगठन जिसे 2D या 3D वस्तु पर प्रयुक्त किया जा सके। भारत में विभिन्न उद्योगों के मालिक अपने उत्पाद के डिजाइन की सुरक्षा और किसी अन्य व्यक्ति द्वारा उनके डिजाइन का प्रयोग न करने के लिए डिज़ाइन अधिनियम के तहत पंजीकरण करा सकते हैं।

5. भौगोलिक संकेतकः- कुछ उत्पादों का विशिष्ट भौगोलिक मूल स्थान होता है और उस मूल स्थान से संबद्ध होने के कारण ही इनमें विशिष्ट गुणवत्ता पाई जाती है। ऐसे उत्पादों को भौगोलिक संकेतक अधिनियम, 1999 के तहत भौगोलिक संकेतक प्रदान किया जाता है।

साइबर अपराधों के प्रकार

1. साइबर स्टॉकिंग :- इस प्रकार के साइबर अपराध में किसी व्यक्ति का ऑनलाइन उत्पीड़न शामिल होता है। इसमें इंटरनेट उपयोगकर्ता को डराने के लिए ढेर सारे ऑनलाइन संदेश और ईमेल भेजे जाते हैं।

2. फिशिंगः- इसमें अक्सर इंटरनेट उपयोगकर्ता के डेटा का चुराने का प्रयास किया जाता है। इस डेटा में लॉ. गिन क्रेडेंशियल और क्रेडिट कार्ड नंबर आदि शामिल हो सकते हैं।

3. डिस्ट्रीब्यूटेड डिनायल ऑफ सर्विसः- इसमें किसी ऑनलाइन सेवा को अनुपलब्ध बनाने और विभिन्न स्त्रोतों से वेबसाइट पर अत्यधिक ट्रैफिक के माध्यम से नेटवर्क को बाधित करने का प्रयास किया जाता है।

4. आइडेंटिटी थेफ्ट :- इसमें किसी उपयोगकर्ता की व्यक्तिगत या गोपनीय जानकारी तक पहुँच प्राप्त कर उसकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने की धमकी देने या फिरौती मांगने की कोशिश की जाती है।

5. ई-मेल स्पूफिंग – इसमें ई-मेल भेजने वाला फर्जी व्यक्ति या संस्थान, मूल या ओरिजिनल ई-मेल में बारीकी से बदलाव करता है ताकि वह वास्तविक ई-मेल की भाँति लगे। इसके बाद इस फर्जी या नकली ई-मेल आई.डी के माध्यम से इंटरनेट उपयोगकर्ताओं को ई-मेल भेजकर उनकी संवेदनशील और गोपनीय जानकारियों की मांग की जाती है।

साइबर अपराधों से निपटने हेतू सरकार भारत द्वारा किये गए उपायः-

1. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा नीति-2013

2. कंप्यूटर सुरक्षा एवं साइबर सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय नोडल एजेंसी CERT-In (Computer Emergency Response Team – India).

3. सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

4. भारतीय साइबर अपराध समन्वय केंद्र (I4C)

5. राष्ट्रीय साइबर सुरक्षा रणनीति, 2020

6. साइबर स्वच्छता केंद्र

भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम (1885):- यह कानून केंद्र एवं राज्य सरकारों को आपातकाल में या लोक-सुरक्षा के हित में फोन संदेशो को प्रतिबंधित करने एवं उन्हें टेप करने या सुनने तथा उनकी निगरानी का अधिकार प्रदान करता है।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000

● यह अधिनियम 9 जून 2000 को अधिनियमित हुआ और 17 अक्टूबर 2000 को लागू हुआ।

● सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम में मूल रूप से कुल 13 अध्याय, 94 धाराएँ और चार अनुसूचियाँ थी। लेकिन वर्तमान में 13 अध्याय 90 धाराएँ और दो अनुसूचियाँ हैं।

सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की महत्वपूर्ण धाराएँ

धारा 1 :- संक्षिप्त शीर्षक, सीमा, प्रारंभ एवं क्रियान्वयन

धारा 2 :- परिभाषाएँ

धारा 3 :- यह धारा इलैक्ट्रॉनिक रिकार्ड और डिजिटल सिग्नेचर से संबंध रखती है।

● डिजिटल सिग्नेचर को इलैक्ट्रॉनिक सिग्नेचर की जगह वर्ष 2008 के संशोधन के तहत शामिल किया गया था लेकिन यह लागू 27 अक्टूबर 2009 को हुआ था।

धारा 14 :- इस धारा में सुरक्षित इलैक्ट्रॉनिक अभिलेखों के बारे में बताया गया है।

धारा 15 :- यह धारा सुरक्षित इलैक्ट्रॉनिक हस्ताक्षर से सबंधित है।

धारा 17 :- इसके अंतर्गत नियन्त्रक एवं अन्य अधिकारियों की नियुक्ति के बारे में बताया गया है।

धारा 43 :- इस धारा में कंप्यूटर एवं कंप्यूटर सिस्टम को क्षति पहुँचाने के लिए दंड एवं मुआवजे का प्रावधान है।

धारा 43A :- डेटा को सुरक्षित रखने में किसी कॉर्पोरेट निकाय के असफल होने पर शास्ति (दंड) का प्रावधान क्योंकि डेटा को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी कॉर्पोरेट निकाय की होती है।

धारा 44 :- इस धारा के अंतर्गत यदि कंपनी नियंत्रक या प्रमाणन अधिकारी को किसी जानकारी का विवरण आदि देने में विफल होती है तो उसके लिए शास्ति (दंड) का प्रावधान किया गया है।

● ऐसी प्रत्येक विफलता पर कंपनी पर अधिकतम 1.5 लाख रूपये का जुर्माना लग सकता है।

● यदि कंपनी एक निश्चित समय सीमा के भीतर रिटर्न दाखिल करने या अन्य दस्तावेज प्रस्तुत करने में विफल रहती है, तो उसको अधिकतम 5 हजार रूपये प्रति दिन का जुर्माना देना होगा।

● कंपनी का वह व्यक्ति जो लेखा तैयार करने में असफल रहता है उस व्यक्ति पर अधिकतम 10 हजार रूपये प्रति दिन का जुर्माना लगेगा।

धारा 48 :- अपीलीय न्यायाधिकरण की स्थापना का प्रावधान ।

धारा 57 :- अपीलीय न्यायाधिकरण में अपील का प्रावधान ।

धारा 62 :- अपीलीय न्यायाधिकरण के निर्णय के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील, निर्णय सुनाये जाने के 60 दिनो के भीतर की जा सकती है।

धारा 65 :- यदि कोई कंप्यूटर साधन के कोड/डाटा में परिवर्तन करता है। तो उसको 3 वर्ष तक कारावास या 2 लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों दंड दिए जा सकते हैं।

धारा 66 :- यह धारा कंप्यूटर से संबंधित अपराधों से संबंधित है। इसके तहत यदि कोई व्यक्ति बेइमानी से या कपटपूर्ण तरीके से धारा-43 में उल्लिखित कोई कृत्य करता है तो उसे तीन वर्ष तक के कारावास या पांच लाख रूपये तक के जुर्माने या दोनो से दंडित किया जाएगा।

धारा 66A :- यदि कोई व्यक्ति संचार सेवा आदि के माध्यम से आपत्तिजनक संदेश भेजता था तो उस व्यक्ति को तीन साल तक की कैद हो सकती थी और जुर्माना भी लगाया जा सकता था।

नोट :- श्रेया सिंघल बनाम भारत संघ वाद में सुप्रीम कोर्ट द्वारा धारा 66 A को असंवैधानिक घोषित कर दिया गया।

धारा 66B :- चोरी किए गए कंप्यूटर संसाधन या संचार उपकरण को बेईमानी से प्राप्त करने के लिए दंड का प्रावधान (3 वर्ष तक का कारावास या एक लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों)

धारा 66C :- पहचान चोरी करने के लिए दंड (3 वर्ष तक कारवास या 1 लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों)

धारा 66D :- कंप्यूटर संसाधन का उपयोग करके प्रतिरूपण द्वारा धोखाधड़ी करने के लिए दंड का प्रावधान (3 वर्ष तक का कारावास या 1 लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों)

धारा 66E :- निजता के उल्लंघन के लिए दंड का प्रावधान (3 वर्ष तक का कारावास या 2 लाख रूपये तक का जुर्माना या दोनों)

धारा 66F :- साइबर आतंकवाद के लिए दंड का प्रावधान ।

धारा 67 :- अश्लील सामग्री को इलैक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या प्रसारित करने या करवाने के लिए दंड का प्रावधान ।

● जब पहली बार ऐसा किया जायेगा तब दंड 3 वर्ष तक का कारावास या 5 लाख रूपये तक का जुर्माना

● जब दूसरी बार ऐसा किया जायेगा तब दंड 5 वर्ष तक का कारावास या 10 लाख रूपये तक का जुर्माना

धारा 67B :- इस धारा में किसी भी इलैक्ट्रॉनिक रूप में प्रकाशित या प्रसारित सामग्री (Material) जो यौन रूप से स्पष्ट कार्य या आचरण को दर्शाती है, के लिए दंड का प्रावधान है।

धारा 80 :- पुलिस अधिकारी और अन्य अधिकारियों के किसी सार्वजनिक स्थान में प्रवेश करने, तलाशी लेने आदि की शक्ति ।

सूचना प्रौद्योगिकी (IT) नियम, 2021

● ये नियम सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स या सोशल मीड़िया मध्यस्थों को अपने प्लेटफॉर्म पर डाले जाने वाले कंटेंट या सामग्री के संबंध में अधिक सक्रिय होने और तत्परता दिखाने के लिये बाध्य करते हैं।

● ये नियम सोशल मीड़िया मध्यस्थों को शिकायत निवारण तंत्र स्थापित करने का प्रावधान करते हैं। शिकायत निवारण तंत्र का शिकायत अधिकारी 24 घंटे के भीतर उपयोगकर्ताओं (Users) की शिकायतों की स्वीकृति देगें और शिकायत प्राप्त होने के 15 दिनों के भीतर इसका समाधान करेगें।

● सोशल मीड़िया मध्यस्थों को किसी व्यक्ति की पसर्नल प्राइवेसी या निजी गोपनीयता को उजागर करने वाली सामग्री या कंटेट को शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर हटाना होगा या उस सामग्री तक पहुँच को निष्क्रिय अथवा बाधित करना होगा।

● सोशल मीड़िया मध्यस्थ भारत की संप्रभुता और अखंडता, सार्वजनिक व्यवस्था, विदशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंधो आदि के विषय में किसी कानून के तहत प्रतिबंधित जानकारी को प्रकाशित नहीं करेगें।

● UPSI दरोगा भर्ती 2025 IPC CrPC PYQ मूलविधि 01

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पिछले 2 व अधिक सालों से जीवित, सजीव, बेबाक और ठोस लेखनी की छाप छोड़ते आये इंजीनियर उमेश यादव, जिला फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश के रहने वाले है। आगरा विश्वविघालय से B.A और UPBTE से पॉलीटेक्निक डिप्लोमा (ME) और UPBTE से B.Tech (ME)करने के बाद आजकल फिरोज़ाबाद, उत्तर प्रदेश मे रहते हुए स्वतंत्र लेखन कार्य के प्रति प्रतिबद्ध व समर्पित है। सरकारी नौकरी, प्राईवेट नौकरी, के सभी विषय बार + Chepter Wise Study material सहित अन्य सभी विषयों पर गंभीर, जुझारू और आलोचनात्मक / समीक्षात्मक लेखनी के लिए इंजीनियर उमेश यादव कई बार विवादों का शिकार होते हुए निडरतापूर्वक लेखन करने के लिए जाने जाते है।

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