UP SI Moolvidhi Previous Year question in Hindi उत्तर प्रदेश पुलिस भर्ती एवं प्रोन्नति बोर्ड (UPPRB) उत्तर प्रदेश पुलिस में सब-इंस्पेक्टर की भर्ती के लिए परीक्षा आयोजित करने जा रहा है। परीक्षा दो चरणों में आयोजित की जाएगी, एक लिखित और एक शारीरिक परीक्षा। लिखित परीक्षा के लिए, उम्मीदवारों को परीक्षा पैटर्न और परीक्षा में पूछे जाने वाले प्रश्नों के प्रकार को समझना चाहिए। परीक्षा को समझने और उसकी तैयारी करने का एक शानदार तरीका UP पुलिस SI पिछले वर्ष के प्रश्न पत्रों का अभ्यास करना है। इन पत्रों का अभ्यास करने से परीक्षा प्रारूप की स्पष्ट समझ मिलती है और समय प्रबंधन में मदद मिलती है। इस लेख में, हमने उम्मीदवारों के लिए पिछले वर्ष की पीडीएफ को समाधान के साथ साझा किया है।
जो उम्मीदवार अच्छा स्कोर करना चाहते हैं और अपने पहले प्रयास में ही UPSI 2025 परीक्षा को पास करना चाहते हैं, उन्हें लिखित परीक्षा और शारीरिक परीक्षण पर एक साथ ध्यान देना चाहिए। चूंकि UPPRB जल्द ही भर्ती प्रक्रिया शुरू करने वाला है, इसलिए उम्मीदवारों के लिए आज से ही UP पुलिस SI पिछले साल के प्रश्न पत्रों का उपयोग करके अपनी तैयारी शुरू करना महत्वपूर्ण है। पिछले प्रश्नपत्रों से परिचित होने से उम्मीदवारों को परीक्षा प्रारूप को समझने में मदद मिलती है, जैसे कि आयोग कैसे प्रश्न बनाता है, जिससे यह पता चलता है कि परीक्षा में किस प्रकार के प्रश्न अपेक्षित हैं।
वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972
● भारत सरकार द्वारा अवैध शिकार, तस्करी एवं वन्य जीव और इनके व्युत्पन्न के गैर कानूनी व्यापार को नियंत्रित कर वन्य जीव की रक्षा के उद्देश्य से वन्य जीव संरक्षण अधिनियम, 1972 में लागू किया गया।
● यह अधिनियम 9 सितम्बर, 1972 से सम्पूर्ण भारत में लागू कर दिया गया था (जम्मू एवं कश्मीर को छोड़कर)
● 31 अक्टूबर, 2019 से यह अधिनियम जम्मू एवं कश्मीर सहित सम्पूर्ण भारत में लागू हो गया।
● इस अधिनियम में कुल 7 अध्याय, 66 धाराएं तथा 6 अनुसूचियाँ वर्णित हैं।
धारा 1:- अधिनियम का नाम व विस्तार से संबंधित प्रावधान करता है।
धारा 2 :- में कुछ विशेष शब्दों की परिभाषा दी गयी है-
धारा 2 (1) :- प्राणी की परिभाषा जिसमें पक्षी, रेंगने वाले जन्तु, स्तनधारी, उभयचर जन्तु, बिना रीढ़ वाले जन्तु, मछली, तथा अन्य कॉर्डेल्स और उनके बच्चे तथा अण्डों को उल्लिखित किया गया है।
धारा 2 (2) :- प्राणी वस्तु की परिभाषा – जिसमें प्राणियों या पशुओं के शरीर के किसी भाग का प्रयोग किसी वस्तु के निर्माण में प्रयोग किया गया हो। इसमें आयातित हाथी दांत या उससे बनी वस्तुएं सम्मिलित है।
धारा 2 (7) ‘क’ :- में ‘सरकस’ को परिभाषित किया गया है। ऐसा स्थान जहाँ स्थिर अथवा अस्थिर रूप में पशुओं को कलाबाजियां या करतब दिखाने के लिए रखा जाता है।
धारा 2 (11) :- ‘व्यापारी’ ऐसे व्यक्ति के लिए सन्दर्भित किया गया है, जो पशुओं या वस्तुओं के क्रय या विक्रय का कार्य करता है।
धारा 2 (16) :- ‘आखेटन’ से तात्पर्य ऐसे वन्य जीवों अथवा बंधुआ पशु को मारना, विष देना या विष देने का प्रयास करना, पीछा करना, फंदा डालना, फुसलाना, कष्ट पहुँचाना, आघात पहुँचाना या उनके शरीर के किसी भाग को ले जाना या रेंगने वाले जन्तुओं या जंगली पक्षियों तथा उनके अण्डे को क्षति पहुँचाना या उनके घोंसलों को क्षति पहुँचाना।
धारा 2 (18) (क) :- ‘पशुधन’ से कृषि में काम आने वाले प्राणी से अभिप्रेत है और इसके अन्तर्गत- बैल, ऊँट, गाय, बकरी, घोड़ा खच्चर, भेड़, याक, गधा, भैंसा, सांड, और उनके बच्चे आते हैं।
धारा 2 (20) :- ‘मांस’ के अन्तर्गत बिना खाल का कच्चा या पका या किसी जीव (वन्य या बंधुआ) के अण्डे रक्त, हड्डी, चर्बी, माँस आदि सम्मिलित है।
धारा 3:- के अन्तर्गत वन्य जीव परिरक्षण निदेशक और अन्य अधिकारियों की नियुक्ति केन्द्र सरकार के अधीन होती है।
धारा 4 :- के अन्तर्गत एक मुख्य वन्य जीव संरक्षक, वन्य जीव संरक्षक, तथा ऐसे कर्मचारी जो आवश्यक हों, के लिए नियुक्ति राज्य सरकार के अधीन होती है।
धारा 5:- में निदेशक तथा मुख्य वन्य जीव अभिरक्षक क्रमशः केन्द्र सरकार तथा राज्य सरकार की पूर्व अनुमति से अपने कृत्यों तथा शक्तियों का प्रयोग करेगें।
धारा 5 (क) :- के अन्तर्गत राष्ट्रीय परिषद के गठन की व्यवस्था से संबंधित प्रावधान किया गया है। केन्द्र सरकार वन्य जीव संरक्षण संशोधन अधिनियम, 2002 के प्रारंभ होने की तिथि के 3 माह के अन्दर राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड की स्थापना करेगी।
○ राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड:-
स्थापना – वर्ष 2003
अध्यक्ष – प्रधानमंत्री
उपाध्यक्ष — वन और वन्य जीव का भारसाधक मंत्री राष्ट्रीय वन्य जीव बोर्ड में कुल 47 सदस्य होते हैं, जिनमें पदेन सदस्यों की संख्या 19 होती है।
धारा 5 (ख) :- राष्ट्रीय बोर्ड की स्थायी समिति का गठन का प्रावधान तथा उपाध्यक्ष द्वारा 10 सदस्यों की नियुक्ति सम्मिलित है।
धारा 6 :- में वन्य जीवों के लिए राज्य वन्य जीव बोर्ड के विषय में प्रावधान किया गया है।
○ वन्य जीव संरक्षण संशोधन अधिनियम, 2002 के पश्चात् 6 माह के अन्दर राज्य वन्य जीव बोर्ड की स्थापना करेगी।
○ राज्य वन्य जीव बोर्ड:-
अध्यक्ष – मुख्यमंत्री
उपाध्यक्ष – वन और वन्य जीव भारसाधक मंत्री
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धारा 7 :- के अनुसार वर्ष में न्यूनतम दो बार बोर्ड की बैठक का प्रावधान किया गया है।
धारा 9 :- वन्य जीव के शिकार पर रोक से संबंधित है।
धारा 11:- में जीव के शिकार से संबंधित प्रावधान हैं
(अ) यदि वन्य जीव मानव के लिए खतरा बन जाता है, तो
(ब) यदि जीव अपना जीवन जीने में असक्षम है, तो शिकार करने की अनुमति है।
धारा 11 (2) :- के अनुसार कोई भी व्यक्ति यदि स्वयं की रक्षा या किसी व्यक्ति की रक्षा करने के लिए सद्भावना पूर्वक से वन्य जीव को मार सकता है या घायल कर सकता है। यह कृत्य अपराध की श्रेणी में नहीं आता है।
धारा 12 :- अनुसार, विशेष प्रयोजनों (जैसे – शिक्षा के लिए, वैज्ञानिक अनुसंधान, जीवन रक्षक औषधियों के निर्माण) के लिए शुल्क का भुगतान कर तथा मुख्य वन्य जीव संरक्षक के आदेशानुसार आखेट की अनुमति है।
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धारा 17 (क) :- में विनिर्दिष्ट पादपों को नष्ट करना, तोड़ना, उखाड़ना या क्षतिग्रस्त करने से संबंधित प्रावधान किये गये है।
धारा 17 (ग) :- में निर्दिष्ट है कि बिना लाइसेंस प्राप्त किये किसी भी विनिर्दिष्ट पादप की खेती की अनुमति नहीं होगी।
धारा 26 :- कलेक्टर की शक्तियों का प्रत्यायोजन ।
धारा 27:- वन्य जीव अभ्यारण्य में बिना अनुमति प्रवेश प्रतिबंधित किया गया है।
धारा 28 :- अभ्यारण्य में फोटोग्राफी, वैज्ञानिक अनुसंधान, पर्यटन, विधि पूर्ण व्यवसाय आदि के लिए प्रवेश की अनुमति आवेदन किये जाने पर मुख्य वन्य जीव अभिरक्षक अनुज्ञा पत्र के आधार पर दे सकता है।
धारा 30 :- अभ्यारण्य में आग लगाना निषिद्ध ।
धारा 31 :- वन्य जीव अभ्यारण्य में आयुध सहित प्रवेश प्रतिबंधित है। (बिना मुख्य वन्य जीव अभिरक्षक या प्राधिकृत अधिकारी की अनुमति के)
धारा 33 (क) :- पशुधन के असंक्रमीकरण (टीकाकरण) से संबंधित ।
धारा 33 (ख):- राज्य सरकार द्वारा एक सलाहकार समिति का गठन ।
धारा 35 :- किसी क्षेत्र को राष्ट्रीय उपवन (उद्यान) के रूप में परिवर्तित करने का अधिकार राज्य सरकार के अधीन ।
धारा 38 :- केन्द्र सरकार द्वारा किसी क्षेत्र को राष्ट्रीय उपवन (उद्यान) तथा अभ्यारण घोषित करने संबंधी शक्ति ।
धारा 38 (क) :- के अनुसार केन्द्रीय चिड़िया घर प्राधिकरण में कुल 12 सदस्यों की नियुक्ति होगी, जिसमें एक अध्यक्ष, एक सचिव तथा 10 अन्य सदस्य शामिल होंगे। अध्यक्ष या अन्य सदस्यों की नियुक्ति केन्द्र सरकार द्वारा की जाती है।
धारा 38 (ख) :- अध्यक्ष और सदस्यों आदि की पदावधि और सेवा शर्तों का वर्णनः- के अनुसार अध्यक्ष या अन्य सदस्य को लगातार 3 बैठकों में से अनुपस्थित होने पर पद से हटाया जा सकता है।
धारा 38 (झ) :- किसी प्राधिकारी की पूर्व अनुमति के बिना किसी भी वन्य जीव का विक्रय, पकड़ना या अर्जन करना अमान्य है।
धारा 39 :- में वर्णित है कि वन्य जीव सरकार की संपत्ति है।
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धारा 45 :- लाइसेंस निलम्बित या रद्द करना मुख्य वन्य जीव संरक्षक के अधीन आता है।
धारा 46 :- के अनुसार, धारा-45 के आदेश विरूद्ध अपील राज्य सरकार से की जायेगी।
धारा 51 :- में नियमों के उल्लंघन से संबंधित दण्ड का प्रावधान किया गया है।
● किसी नियम का प्रथम बार उल्लंघन करने पर अधिकतम 3 वर्ष का कारावास तथा 25 हजार रुपये का जुर्माना या दोनों निर्दिष्ट हैं।
● किसी बाघ आरक्षित क्षेत्र में शिकार करने पर 3 वर्ष से 7 वर्ष तक का कारावास तथा जुर्माना निर्दिष्ट किया गया है।
जुर्माना – न्यूनतम 50,000 रूपये, अधिकतम 2 लाख रूपये
धारा 51 (क) :- गिरफ्तार किये गये व्यक्ति की जमानत संबधित प्रावधान करती है।
धारा 54 :- अपराधों के शमन से संबंधित है।
धारा 58 :- किसी कम्पनी द्वारा किये गये अपराध से संबंधित ।
धारा 58 (ग) :- में अवैध रूप से अर्जित की गई संपत्ति को धारण करने के प्रतिषेध से संबंधित प्रावधान।
धारा 59 :- के अनुसार, इस अधिनियम के अधीन सभी सदस्य लोक सेवक होंगे।
धारा 60 :- सद्भावपूर्वक कार्यवाही को संरक्षित करने से संबंधित है।
धारा 60 (क):- ऐसा व्यक्ति जो अपराधियों को पकड़वायेगा उस व्यक्ति को जुर्माने के 50% का ईनाम की राशि दी जाएगी।
धारा 60 (ख) :- किसी अपराधी की गिरफ्तारी करवाने में सहायता या अपराध का पता लगाने के लिए कम-से-कम 10,000 रूपये की इनामी राशि दी जाएगी।
धारा 62:- केन्द्र सरकार को वन्य पशुओं को हानिकारक घोषित करने की शक्ति देती है।
धारा 64:- राज्य सरकारों को नियम बनाने की शक्ति प्रदान करती है।
धारा 65 :- के अन्तर्गत अनुसूचित जनजाति के अधिकारों के संरक्षण से संबंधित प्रावधान किया गया है।
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