UP SI Mool Vidhi Questions 2025 Previous Year Question UPSI 2025 Moolvidhi Right to Information Act 2005 , UPSI 2025 Moolvidhi , सूचना का अधिकार अधिनियम 2005, UP Police SI Moolvidhi यूपीएसआई की तैयारी (UP SI Preparation in Hindi) के लिए www.gyanseva24.com आपके लिए “विधि एवं संविधान” विषय ( UP SI Mool Vidhi & Polity) पर एक संक्षिप्त विशेषांक लाया है। जिसके माध्यम से आप स्पष्ट प्रकार से UP SI Mool Vidhi & Polity विषय के हर बिंदु को समझ पाएंगे । दिए गये Teligram में आप परीक्षा हेतु आवश्यक विषय सामग्री को क्रमवार पढ़ सकेंगे ।
● UP SI Mool Vidhi Questions 2025 Previous Year Question यूपीएसआई (UP SI) की मूल विधि (Mool Vidhi) परीक्षा का पाठ्यक्रम (Syllabus) निम्नलिखित क्षेत्रों को शामिल करता है: भारतीय दंड विधान (IPC), दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC), महिलाओं, बच्चों, अनुसूचित जाति आदि के लिए कानूनी प्रावधान, मोटर वाहन अधिनियम, पर्यावरण संरक्षण, वन्यजीव संरक्षण, मानवाधिकार संरक्षण, सूचना का अधिकार अधिनियम, आयकर अधिनियम, भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, राष्ट्रीय सुरक्षा अधिनियम, आईटी अधिनियम, साइबर अपराध, जनहित याचिका, महत्वपूर्ण न्यायिक निर्णय, भूमि सुधार, भूमि अधिग्रहण, भू-राजस्व संबंध आदि
● सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 भारत सरकार का एक अधिनियम है। ‘सूचना का अधिकार’ अर्थात ‘राइट टू इन्फॉरमेशन’ (RTI) सूचना के अधिकार के अंतर्गत कोई भी नागरिक किसी भी सरकारी विभाग से सूचना प्राप्त कर सकता है। लेकिन यह सूचना केवल हम तथ्यों के बारे में जानने के लिए ले सकते हैं। इस अधिकार के अंतर्गत हम किसी भी सरकारी विभाग से उनकी राय या विचार नहीं ले सकते हैं। सिर्फ भारतीय नागरिक ही इसका लाभ ले सकते हैं। सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 दुनिया में सबसे पहले स्वीडन में वर्ष 1766 में अपनाया गया था। भारत में इसको 1987 के मजदूर किसान शक्ति संगठन (MKKS) आधार पर अपनाया गया था। इस अधिनियम को सर्वप्रथम लागू करने वाला राज्य तमिलनाडु था। इस अधिनियम को 11 मई, 2005 को लोकसभा में पारित किया गया तथा 12 मई, 2005 को राज्यसभा में पारित किया गया था। इसको राष्ट्रपति की मंजूरी 15 जून, 2005 को मिली थी। संपूर्ण भारत में यह अधिनियम (जम्मू-कश्मीर को छोड़कर) 12 अक्टूबर, 2005 को लागू हुआ। 2019 के बाद यह संपूर्ण भारत में लागू है। ‘राइट टू इन्र्फोमेशन एक्ट’ के द्वारा सबसे पहले सूचना पुणे-पुलिस स्टेशन से ली गई थी। सूचना का अधिकार (RTI) एक कानूनी अधिकार है जिसे संविधान के अनुच्छेद 19 (1) में दिया गया है। सूचना के अधिकार अधिनियम, 2005 के अंतर्गत ‘केंद्रीय सूचना आयोग’ और ‘राज्य सूचना आयोग’ की स्थापना हुई।
केंद्रीय सूचना आयोग
स्थापनाः- केंद्रीय सूचना आयोग की स्थापना ‘सूचना का अधिकार अधिनियम, 2005 में’ केंद्र सरकार द्वारा की गई थी। यह एक संवैधानिक निकाय नही है बल्कि एक सांविधिक निकाय है जिसको विशेष उद्देश्य के लिए बनाया गया है।
सदस्यों की संख्याः- इसमें एक मुख्य सूचना आयुक्त होता है। तथा इसमें दस से अधिक सूचना आयुक्त नहीं हो सकते।
सदस्यों की नियुक्तिः- सदस्यों की नियुक्ति के लिए एक समिति बनाई जाती हैं, जिसमें अध्यक्ष के रूप में प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित केंद्रीय कैबिनेट मंत्री शामिल होते हैं। इस समिति की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा इनको नियुक्त किया जाता है।
आयोग के कार्य का क्षेत्राधिकारः- आयोग के कार्य का क्षेत्राधिकार सभी केंद्रीय लोक प्राधिकरणों तक है।
सदस्यों का कार्यकालः- मुख्य सूचना आयुक्त और एक सूचना आयुक्त का कार्यकाल केंद्र सरकार द्वारा निर्धारित अवधि या 65 वर्ष की आयु तक (जो भी पहले हो) पद पर रह सकता है।
नोटः- इनको पुनर्नियुक्त नहीं किया जा सकता।
केंद्रीय सूचना आयोग के कार्य एवं शक्तियाँः
● आयोग का सर्वप्रथम कर्तव्य यह है कि वह सूचना अधिकार अधिनियम, 2005 के तहत किसी विषय पर प्राप्त शिकायतों के मामले में संबंधित व्यक्ति से पूछताछ करें।
● आयोग उचित आधार होने पर किसी भी मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए जाँच का आदेश दे सकता है।
● आयोग के पास पूछताछ करने हेतु समन भेजने, दस्तावेजों की आवश्यकता आदि के संबंध में सिविल कोर्ट की शक्तियाँ होती है।
राज्य सूचना आयोगः-
● स्थापनाः– राज्य सूचना आयोग की स्थापना ‘सूचना का अधिकार अधिनियम 2005’ के अंतर्गत राज्य सरकार द्वारा किया जाता है।
● सदस्यों की संख्याः- इनमें एक राज्य मुख्य सूचना आयुक्त तथा अधिकतम 10 राज्य सूचना आयुक्त होते हैं
नियुक्तिः – इनकी नियुक्ति के लिए एक समिति बनाई जाती है जिसका अध्यक्ष मुख्यमंत्री होता है। इस समिति की सिफारिश के आधार पर राज्यपाल सदस्यों की नियुक्ति करता है। सूचना का अधिकार, 2005 में 6 अध्याय और 31 धाराएँ है।
● इस अधिनियम के अंतर्गत जनता अपना जबाब किसी भी रूप में माँग सकती है। जैसे:- पत्र, Recording, E-mail, Fax आदि ।
● भारत का कोई भी नागरिक, इस अधिनियम के प्रावधानों के तहत किसी भी सरकारी प्राधिकरण से सूचना प्राप्त करने के लिए अनुरोध कर सकता है। इस सूचना को 30 दिन के अन्दर उपलब्ध कराए जाने की व्यवस्था की गई है। अगर मांगी गई सूचना जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता से संबंधित है तो ऐसी सूचना को 48 घंटे के अंदर ही उपलब्ध कराने का प्रावधान है।
यदि जानकारी 30 दिन में नहीं मिलती है तो उसके लिए दो प्रावधान है-
1.यदि जानकारी 30 दिन के बाद मिलती है, तो आवेदन शुल्क वापस कर दिया जाता है।
2.लेकिन यदि PIO (Public Information officer) कोई जानकारी नहीं देता है या तथ्यों को छिपाने का प्रयत्न करता है, तो उसके खिलाफ प्रथम अपीलीय अधिकारी से शिकायत की जाती है। जिसके अंतर्गत उस पर 250 रूपये प्रतिदिन का जुर्मना और 25000 रूपये तक का अधिकतम जुर्माना लगाया जा सकता है।
RTI के तहत किसकी जानकारी ली जा सकती है:-
1. राष्ट्रपति
2. प्रधानमंत्री
3.राज्यपाल, मुख्यमंत्री
4. राज्य का विधान मण्डल, चुनाव आयोग, संसद, सभी अदालतों से, सेना के तीनों अंगों से तथा अन्य सभी दफ्तरों से तथा सभी सरकारी अस्पतालों से।
RTI के तहत कब जानकारी नहीं दी जायेगी उसके लिए क्या-क्या शर्ते है:-
1. जब देश की सुरक्षा/अखण्डता की सुरक्षा के लिए खतरा हो।
2. जब विदेश नीति से संबंधित हो।
3. जब किसी निजी संस्थान से जानकारी माँगी जाये तो जानकारी नहीं दी जायेगी क्योंकि इसके अंतर्गत केवल सरकारी संस्थान आते हैं।
4. जब किसी के जीवन को खतरा हो, तो जानकारी नहीं दी जाएगी।
5. ऐसा प्रकाशन जिनको उच्चतम न्यायालय/उच्च न्यायालय द्वारा सूचना प्रदान करने के लिए मनाही है।
सूचना के अधिकार अधिनियम 2005 की कुछ महत्वपूर्ण धाराएँः
धारा 1 :- इसमें अधिनियम (Act) का नाम /विस्तार दिया है। “सूचना का अधिकार अधिनियम 2005”
धारा 2 ‘क’ :- समुचित सरकार के विषय में बताया गया है अर्थात केंद्र सरकार व राज्य सरकार के विषय में बताया गया है।
धारा 2 ‘ड’ :- इसमें सक्षम अधिकारी के बारे में बताया गया है। सक्षम अधिकारी से तात्पर्य किसी भी विभाग का शीर्षतम / उच्चतम अधिकारी से है। जैसे:-
○ केंद्र में – राष्ट्रपति
○ राज्य में – राज्यपाल
○ राज्यसभा में – सभापति
○ लोकसभा में – लोकसभा का अध्यक्ष
धारा 2 (‘च’) :- इसमें यह दिया गया है कि सूचना किस प्रकार से दी जायेगी। जैसेः- परिपत्र, प्रेस, विज्ञाप्ति, आदेश लॉगबुक के द्वारा व इलैक्ट्रॉनिक मीडिया के द्वारा।
नोटः- सूचना फाइल टिप्पणी के माध्यम से नहीं दी जायेगी।
धारा 2 ‘ज’ :- इनमें लोक प्रधिकारी के विषय में बताया गया है। जिस भी विभाग में आप सूचना प्राप्त करने के लिए आवेदन दे रहे हैं उसमें एक लोक प्राधिकारी (PIO – Public Information Officers) होता है।
धारा 2 (‘ञ’):- यदि आप पेन ड्राइव, ऑडियो, डिस्कैट, फ्लापी डिस्क, हाई-डिस्क, प्रिन्ट आउट के माध्यम से सूचना प्राप्त करते है, तो आपको अतिरिक्त शुल्क देना होगा लेकिन सुप्रीम कोर्ट के अधिनियम अनुसार अधिकतम देय शुल्क 50 रु. से अधिक नहीं होगा।
धारा 3 :- सूचना का अधिकार सिर्फ भारतीय नागरिकों को प्राप्त होगा।
धारा 4 ‘क’:- इस धारा के अंतर्गत लोक प्राधिकारी के कर्तव्य बताये गए हैं।
धारा 5 :- इसमें लोक सूचना अधिकारियों के पदनाम के बारे में बताया गया है।
धारा 6 ‘क’:- इसमें आवदेन लिखने की प्रक्रिया के बारे में बताया गया है। आवेदन किसी भी भाषा में किया जा सकता है। जैसेः- हिन्दी, अंग्रेजी व स्थानीय भाषा किसी में भी।
धारा 7 (V):- इसमें बताया गया है कि BPL को निःशुल्क सूचना दी जायेगी।
धारा 7 (VI):- सूचना 30 दिन में नहीं दी गयी तो फिर निःशुल्क दी जाएगी।
धारा 8 :- इनमें यह बताया गया है कि कौन-सी सूचना RTI, 2005 के तहत नहीं दी जाएगी।
○ बौद्धिक सम्पदा से सम्बन्धित सूचना जब देश की सुरक्षा/अखण्डता पर उन सवालों का खतरा हो।
○ विदेश नीति से संबंधित सूचना।(जब किसी के जीवन को खतरा है तो नही दी जायेगी।)
धारा 12 :- इसमें केद्रीय सूचना आयोग के गठन व मुख्यायालय (नई दिल्ली) के विषय में बताया गया है। और यह भी बताया गया है कि इसको स्थानान्तरित भी किया जा सकता है।
धारा 13 :- केन्द्रीय सूचना आयोग के सदस्यों की पदावधि व शर्तों के विषय में बताया गया है। इनकी पदावधि 65 वर्ष या केन्द्र सरकार द्वारा निर्धारित जो पहले हो तब तक होगी। इनके सदस्यों की पुनः नियुक्ति नहीं हो सकती। केंद्र सरकार द्वारा इसमें संशोधन किया गया है कि इनका कार्यकाल, वेतन तथा भत्ते केंद्र सरकार द्वारा तय किए जाएगें।
धारा 14 :- सूचना आयुक्त या मुख्य सूचना आयुक्त का हटाया जाना से संबंधित है।
धारा 15 :- इसमें राज्य सूचना आयोग के गठन के विषय में प्रावधान है।
धारा 16 :- यह धारा राज्य सूचना आयोग की पदावधि एवं शर्तों को बताती है।
धारा 18 :- सूचना न मिलने पर अधिकारियों की शिकायत की जायेगी
धारा 19 :- इस धारा में अपील के विषय में बताया गया है।
○ 30 दिनों में सूचना नहीं आती है तो प्रथम अपील की जाती है। 90 दिनों के अंतर्गत दूसरी अपील की जाती हैं
धारा 20 :- इस धारा में शास्ति के बारे में बताया गया है। यदि सूचना अपूर्ण या गलत या भ्रामक या सूचना नष्ट करने की कोशिश की तो 250 रूपये प्रतिदिन व 25000 रूपये तक का अधिकतम जुर्माना होगा।
धारा 24 :- इस धारा में यह बताया गया है कि यह अधिनियम किन-किन संगठनों पर लागू नहीं होगा।
○ सभी अर्द्धसैनिक बलः जैसे- खुफिया संस्थाएँ
धारा 25 :- केन्द्रीय सूचना आयोग व राज्य सूचना आयोग प्रत्येक वर्ष एक रिपोर्ट तैयार करेगा जो सरकार को पेश होगी।
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