प्रायद्वीपीय नदी तंत्र से संबंधित सभी प्रश्न जो की प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं वे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लाभकारी होगा जैसे UPSC, UPPSC, MPPCS, UKPCS,BPSC,UPPCS,UP POLICE CONSTABLE, UPSI,DELHI POLICE, MP POLICE, BIHAR POLICE, SSC, RAILWAY, BANK, POLICE,RAILWAY NTPC,RAILWAY RPF,RAILWAY GROUP D,RAILWAY JE,RAILWAY TECNICIAN, Teaching Bharti अन्य सभी परीक्षाओं के लिए उपयोगी
■ प्रायद्वीपीय नदी तंत्र——->
● प्रायद्वीपीय अपवाह में अनेक नदी तंत्र हैं, जिनका संक्षिप्त विवरण इस प्रकार है-
■ महानदी (Mahanadi River)——->
● यह एक अनुवर्ती नदी है, जो अमरकंटक पठार के सिहावा (छत्तीसगढ़) के निकट से निकलती है। यह नदी पूर्व की ओर ओडिशा से बहती हुई अपना जल पाराद्वीप (ओडिशा) के समीप बंगाल की खाड़ी में विसर्जित करती है।
● इस नदी की लंबाई 851 किमी. है तथा इसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 1.42 लाख वर्ग किमी. है। इसकी अपवाह द्रोणी मध्यप्रदेश. छत्तीसगढ़, झारखंड और ओडिशा में विस्तृत है।
● इस नदी की अपवाह द्रोणी का 53 प्रतिशत भाग मध्य प्रदेश व छत्तीसगढ़ एवं 47 प्रतिशत भाग ओडिशा राज्य में विस्तृत है। इसके निचले मार्ग में नौसंचालन भी होता है।
● शिवनाथ, हसदेव, मांड तथा इब इसके बायीं ओर, जबकि जोक, लोंग तथा तेल इसके दायीं ओर की सहायक नदियाँ हैं।
● विश्व का सबसे बड़ा बाँध हीराकुंड बाँध इसी नदी पर बनाया गय है। यह नदी वृक्षाकार अपवाह प्रतिरूप का निर्माण करती है। |
■ गोदावरी नदी (Godavari River)——->
● यह प्रायद्वीपीय भारत का सबसे बड़ा नदी क्षेत्र है। गोदावरी को दक्षिणी गंगा या वृद्ध गंगा (बूढ़ी गंगा) के नाम से भी जाना जाता है।
● यह महाराष्ट्र के नासिक जिले में त्रयम्बकेश्वर से निकलती है और दक्षिण-मध्य भारत को पार कर दक्षिण-पूर्व की ओर बहती हुई बंगाल की खाड़ी में अपना जल विसर्जित करती है।
● इसकी द्रोणी महाराष्ट्र (49 प्रतिशत भाग), मध्य प्रदेश एवं छत्तीसगढ़ (20 प्रतिशत भाग) तथा शेष ओडिशा, तेलांगाना और आंध्रप्रदेश में स्थित है।
● इसकी प्रमुख सहायक नदियों में वर्धा, वेनगंगा, मनेर, सबरी, पूर्णा, मंजीरा, वरना, पेनगंगा, इंद्रावती, प्राणहिता (बेनगंगा तथा वर्धा संयुक्त रूप से), ताल एवं मंजरा आदि शामिल हैं।इसकी सहायक नदियाँ महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना राज्यों से होकर बहती हैं।
● गोदावरी 1,465 किमी. लंबी नदी है, जिसका जलग्रहण क्षेत्र 3.13 लाख वर्ग किमी. है। यह प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी व भारत की दूसरी सबसे लम्बी नदी है।
● गोदावरी नदी घाटी कोयला, पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस के भण्डार हेतु प्रसिद्ध है। पोचमपद एवं जयकवाड़ी इसी नदी पर निर्मित प्रमुख जल विद्युत परियोजनाएँ हैं।
● इसके तट पर अनेक तीर्थ स्थल जैसे नासिक, त्रयम्बकेश्वर, भद्राचलम एवं नांदेड़ तथा औरंगाबाद, नागपुर, निजामाबाद, राजमुंद्री एवं बालाघाट आदि प्रमुख नगर स्थित हैं
● गोदावरी नदी पर राजमुंद्री एवं कोस्बुर को जोड़ने वाला एशिया का सबसे बड़ा रेल सह सड़क मार्ग निर्मित किया गया है, जो अभियांत्रिकी का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। |
● यह पोलावरम के दक्षिण में, जहाँ इसके मार्ग के निचले भागों में भारी बाढ़ें आती हैं, एक सुदृश्य जलप्रपात का निर्माण करती है।
● राजमुंद्री के बाद यह नदी कई धाराओं में विभक्त होकर एक वृहत डेल्टा का निर्माण करती है। इसके डेल्टाई भाग में ही नौसंचालन संभव है।
■ कृष्णा नदी (Krishna River)——->
● यह प्रायद्वीपीय भारत की दूसरी सबसे बड़ी नदी है। इसकी द्रोणी महाराष्ट्र, कर्नाटक एवं आंध्र प्रदेश में विस्तृत है।
● कृष्णा नदी महाराष्ट्र के पश्चिमी घाट में महाबलेश्वर के निकट से निकलकर बंगाल की खाड़ी में गिरती है।
● यह नदी (दक्षिण पूर्व दिशा में) लगभग 1,400 किमी. की लम्बाई में बहती है। इसका अपवाह क्षेत्र 2.59 लाख वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला है, जिसका विस्तार महाराष्ट्र (27%), कर्नाटक (44%) तथा तेलंगाना एवं आन्ध्रप्रदेश में (29%) पड़ता है।
● कोयना, तुंगभद्रा, भीमा, मूसी, डिंडी, घाटप्रभा, मालप्रभा पंचगंगा एवं दूधगंगा इसकी प्रमुख सहायक नदियाँ हैं।
● जल विद्युत परियोजनाओं की दृष्टि से कृष्णा नदी महत्वपूर्ण है। इस नदी पर श्रीशैलम, नागार्जुन (आंध्र प्रदेश) एवं अल्माटी बाँध (कर्नाटक) निर्मित किए गए हैं।
● कृष्णा नदी जल विवाद आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र के मध्य 1957 ई. से चला आ रहा है। |
■ कावेरी नदी (Kaveri River)——->
● यह नदी कर्नाटक के कोडगू जिले में ब्रह्मगिरि पहाड़ियों (1,341 मीटर) से निकलती है। इसकी लंबाई 800 किमी. है तथा यह 81,155 वर्ग किमी. क्षेत्र को अपवाहित करती है।
● पहाड़ी से नीचे उतरने के पश्चात् कावेरी नदी दक्कन पठार में प्रवाहित होती है, जहाँ यह शिवसमुद्रम् एवं श्रीरंगपट्टनम् द्वीपों का निर्माण करती है।
● प्रायद्वीप की अन्य नदियों की अपेक्षा जल स्तर कम उतार-चढ़ाव के साथ यह नदी लगभग वर्षभर बहती है, क्योंकि इसके ऊपरी जलग्रहण क्षेत्र में दक्षिण-पश्चिमी मानसून (गर्मी) से और निम्न क्षेत्रों में उत्तर-पूर्वी मानसून (सर्दी) से वर्षा जल प्राप्त होता है।
● यह नदी तमिलनाडु में कुड्डालूर के दक्षिण में तिरुचिरापल्ली के निकट बंगाल की खाड़ी में मिल जाती है। इसकी द्रोणी तमिलनाडु (56.1%), कर्नाटक (41%) एवं केरल (3%) में विस्तृत है। इसकी महत्वपूर्ण सहायक नदियाँ काबिनी, भवानी और अमरावती हैं।
● भारत में दूसरा सबसे बड़ा जलप्रपात कावेरी नदी बनाती है, जिसे शिव समुद्रम् (Shiv Samudram) के नाम से जाना जाता है। इस प्रपात द्वारा उत्पादित विद्युत मैसूर, बंगलुरू एवं कोलार स्वर्ण-क्षेत्र को प्रदान की जाती है। |
● मैसूर से 20 किमी. की दूरी एक बाँध बनाकर कृष्णाराज सागर जलाशय का निर्माण किया गया है।
● कावेरी नदी श्रीरंगपट्टनम् तथा शिवसमुद्रम् द्वीपों से होती हुई गॉर्जों, जलप्रपातों एवं हेयर पिन के समान अनेक मोड़ लेती हुई आगे बढ़ती है।
● बंगाल की खाड़ी में गिरने से पूर्व यह तमिलनाडु के तंजावुर जिले के समीप एक समकोणिक डेल्टा का निर्माण करती है।
● उपर्युक्त बड़ी नदियों के अतिरिक्त कुछ छोटी नदियाँ हैं, जो पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं। हेमवती, अर्कावती, काबिनी, भवानी, तीर्था तथा अमरावती आदि इसके कुछ महत्वपूर्ण उदाहरण हैं।
■ अमरावती नदी (Amrawati River)——->
● यह कावेरी की सहायक नदी है। इसका उद्गम तमिलनाडु एवं केरल की सीमा पर होता है। इसकी लंबाई 175 किमी. है। यह करूर जिले (तमिलनाडु) में कावेरी से मिलती है तथा लगभग 6,000 एकड़ भूमि की सिंचाई करती है। अमरावती नदी बेसिन का अत्यधिक औद्योगीकरण होने के कारण यह नदी अत्यधिक प्रदूषित हो गई है।
■ नर्मदा नदी (Narmada River)——->
● यह नदी छत्तीसगढ़ में स्थित मैकाल पर्वत के समीप अमरकंटक पठार से निकलती है।
● दक्षिण में सतपुड़ा और उत्तर में विंध्याचल श्रेणियों के मध्य भ्रंश घाटी से बहती हुई, यह नदी संगमरमर की चट्टानों में सुन्दर महाखड्ड एवं जबलपुर के निकट धुआँधार जलप्रपात बनाती है।
● नर्मदा नदी अपने मुहाने पर डेल्टा का निर्माण नहीं करती है। इसका प्रमुख कारण है कि, यह एक भ्रंश घाटी से होकर प्रवाहित होती है, इसलिए इसमें अवसाद का अभाव रहता है।
● नर्मदा नदी 1,312 किमी. की दूरी तक प्रवाहित होने बाद भड़ौंच के निकट में कैम्बे (खम्भात) की खाड़ी (अरब सागर) में जा मिलती है तथा 27 किमी. लंबा ज्वारनदमुख बनाती है। अरब सागर में गिरने वाली यह प्रायद्वीपीय भारत की सबसे लम्बी नदी है।
● सरदार सरोवर परियोजना इसी नदी पर बनायी गयी है। नर्मदा द्रोणी मध्य प्रदेश, गुजरात व महाराष्ट्र के कुछ भागों में विस्तृत है। नर्मदा की सभी सहायक नदियाँ बहुत छोटी हैं, जिनमें से अधि कांश समकोण पर मुख्य धारा से मिलती हैं।
■ तापी (ताप्ती) नदी (Tapi River)——->
● तापी का उद्गम मध्य प्रदेश के बैतूल जिले में सतपुड़ा की श्रृंखलाओं में स्थित मुल्ताई से होता है। यह नदी अरब सागर में ज्वारनदमुख का निर्माण करती है। यह भी नर्मदा के समानांतर एक अंश घाटी में बहती है, लेकिन इसकी लंबाई बहुत कम है।
● पश्चिम दिशा में बहने वाली यह एक अन्य महत्वपूर्ण नदी है, जो 724 किमी. लंबी है। यह नदी लगभग 65,145 वर्ग किमी. क्षेत्र में अपवाहित होती है।
● इसके अपवाह क्षेत्र का 79% भाग महाराष्ट्र, 15% मध्य प्रदेश एवं शेष 6% भाग गुजरात में पड़ता है। |
■ लूनी नदी (Luni River——->
● लूनी नदी तंत्र राजस्थान का सबसे बड़ा नदी-तंत्र है। यह नदी पुष्कर झील से दो धाराओं (सरस्वती और साबरमती) के रूप में उत्पन्न होती है, जो गोविन्दगढ़ के निकट आपस में मिल जाती हैं। यहाँ से यह नदी अजमेर के दक्षिण-पश्चिम में अरावली पहाड़ियों से निकलती है।
● तलवाड़ा तक यह पश्चिम दिशा में बहती है, तत्पश्चात् दक्षिण-पश्चिम दिशा में बहती हुई कच्छ के रण (दलदली क्षेत्र) में विलुप्त हो जाती है। यह संपूर्ण नदी-तंत्र अल्पकालिक है। इसे लवणकरी नदी के नाम से भी जानते हैं।
● घग्घर, लूनी, रूपेन, सरस्वती और बनास नदियाँ अंतःस्थलीय अपवहन का उदाहरण हैं। अंतः स्थलीय प्रवाह नदियाँ – ऐसी नदियाँ जो समुद्री मुहाने तक नहीं पहुँच पाती तथा स्थलीय क्षेत्र में ही विलुप्त हो जाती हैं। ये अंतःस्थलीय अपवाह का निर्माण करती हैं। |
■ काली नदी (Kali River)——->
● काली नदी पश्चिमी घाट पर्वतीय क्षेत्र में स्थित उत्तरी कन्नड़ जिले (कर्नाटक) के डिग्गी गाँव से उद्गमित होकर चाप के आकार में पश्चिम की ओर प्रवाहित होकर अरब सागर में मिल जाती है।
● इस नदी में मैंगनीज अयस्क के घुले होने के कारण यह प्रदूषित है। |
■ हगरी (वेदावथी) नदी——->
● तुंगभद्रा की सहायक हगरी नदी पश्चिमी घाट से निकलकर कर्नाटक और आंध्र प्रदेश से प्रवाहित होते हुए तुंगभद्रा नदी में मिल जाती है। इसे वेदावथी नदी के नाम से भी जाना जाता है।
● वेदा और अवधी नदियाँ सह्याद्रि से निकलकर पुरा के समीप आपस में मिलकर वेदावधी कहलाती हैं।
■ माही नदी (Mahi River)——->
● माही नदी मध्य प्रदेश से उद्गमित होकर खांडू के निकट राजस्थान के बाँसवाड़ा जिले में प्रवेश करती है। यह नदी नरबाली तक बहने के पश्चात् दक्षिण-पश्चिम दिशा की ओर गुजरात से प्रवाहित होती हुई खम्भात की खाड़ी में गिरती है।
■ मीठी नदी (Mithi River)——->
● मुम्बई में स्थित विहार झील के अधिप्रवाह से मीठी नदी उद्गमित होती है। 2 किमी. के प्रवाह के पश्चात् इसमें पोवई झील का पानी भी अधिप्रवाह के कारण मिल जाता है तथा यह 18 किमी. की दूरी तय कर माहिम खाड़ी के समीप अरब सागर में मिल जाती है।
■ पश्चिम की ओर बहने वाली छोटी नदियाँ——->
● अरब सागर एवं पश्चिमी घाट के बीच का तटीय मैदान बहुत अधिक संकीर्ण है। इसलिए तटीय नदियों की लंबाई अत्यधिक कम है।
■ शरावती नदी——->
● यह नदी कर्नाटक के शिमोगा जिले से निकलतीहै। गरसोप्पा जलप्रपात इसी नदी पर स्थित है, यह भारत का सबसे भव्य जलप्रपात है जिसे जोग जलप्रपात (271 मी.) के नाम से भी जाना जाता है।
■ पश्चिम की ओर बहने वाली नदियाँ:——–>
नदी | जलग्रहण क्षेत्र वर्ग किमी. |
साबरमती | 21,674 |
माही | 34,842 |
ढाढर | 2,770 |
कालिंदी | 5,179 |
शरावती | 2,029 |
भरतपुझा | 5,397 |
पेरियार | 5,243 |
● पश्चिमी घाट के अखण्ड जल विभाजक क्षेत्र में 13 किमी. चौड़ा एकमात्र पलक्कड़ दर्रा है, जिसे पालघाट दर्रा के नाम से भी जाना जाता है।से निकलकर भद्रा नदी में जाना जाता है।
● शेत्रुंजी नदी अमरेली जिले में डलकाहवा से निकलती है। भद्रा नदी राजकोट जिले के अनियाली गाँव के निकट से निकलती है।
● ढाढ़र नदी पंचमहल जिले के घंटार गाँव से निकलती है।
● नासिक जिले में त्रयंबक पहाड़ियों में 670 मी. की ऊँचाई से वैतरणी नदी निकलती है।
● कालिंदी नदी बेलगाँव जिले से निकलकर कारवाड़ की खाड़ी में गिरती है।
● गोवा में दो महत्वपूर्ण नदियाँ मांडवी और जुआरी हैं।
■ मांडवी नदी——->
● यह कर्नाटक, महाराष्ट्र एवं गोवा राज्य में प्रवाहित होने वाली नदी है। इस नदी को गोवा राज्य की जीवन रेखा के रूप में जाना जाता है। इसकी कुल लम्बाई 81 किमी. (कर्नाटक में 35 किमी., महाराष्ट्र में 1 किमी. तथा गोवा में 45 किमी.) है। |
■ जुआरी नदी——->
● यह गोवा राज्य में प्रवाहित होने वाली सबसे लम्बी नदी है, जो एक ज्वारीय नदी है। इस नदी का उद्गम पश्चिमी घाट में स्थित हेमद-बार्शम में है। इस नदी की कुल लम्बाई 92 किमी. है। |
● केरल की सबसे बड़ी नदी भरतपुझा, अन्नामलाई पहाड़ियों से निकलती है, जिसे पोन्नानी के नाम से भी जाना जाता है। यह लगभग 5,397 वर्ग किमी. क्षेत्र में अपवाहित होती है।
● पेरियार (Periyar) केरल की दूसरी सबसे लम्बी नदी है, जिसका जलग्रहण क्षेत्र लगभग 5,243 वर्ग किमी. में फैला हुआ है। इस नदी को केरल की जीवनदायनी नदी माना जाता है क्योंकि यह पीने का पानी उपलब्ध कराती है।
● केरल की अन्य महत्वपूर्ण नदी पांबा (पम्पा) है, जो उत्तरी केरल में 177 किमी. लंबा मार्ग तय करती हुई, वेंबनाद झील में मिल जाती है।
■ पूर्व की ओर बहने वाली छोटी नदियाँ——->
● प्रायद्वीपीय भारत की अधिकांश नदियाँ अपनी सहायक नदियों के साथ पूर्व की ओर प्रवाहित होती हैं।
● स्वर्णरेखा, वैतरणी, ब्राह्मणी, वामसाधारा, पेन्नार, पालार और वैगई प्रायद्वीपीय भारत की महत्वपूर्ण छोटी नदियाँ हैं।
● सुवर्ण रेखा नदी:—–> यह झारखण्ड राज्य में प्रवाहित होने वाली एक महत्वपूर्ण नदी है, जो राँची से 16 किमी. दक्षिण-पश्चिम में स्थित नगड़ी गाँव में रानी चुआं नामक स्थान से निकलती है और उत्तर पूर्व की ओर आगे बढ़ती हुई मुख्य पठार को छोड़कर प्रपात (हुण्डरू जल प्रपात) के रूप में गिरती है। प्रपात के रूप में गिरने के बाद इस नदी का बहाव पूर्व की ओर हो जाता है। यह पश्चिम बंगाल में तलसारी नामक स्थान पर बंगाल की खाड़ी में गिरती है। |
■ पूर्व की ओर बहने वाली नदियाँ:——->
नदी | जलग्रहण क्षेत्र (वर्ग किमी.) |
स्वर्ण रेखा | 19,296 |
वैतरणी | 12,789 |
ब्राह्मणी | 39,033 |
पेन्नार | 55,213 |
पालार | 17,870 |
■ हिमालयी व प्रायद्वीपीय नदियों की तुलना——->
पक्ष | हिमालयी नदियाँ | प्रायद्वीपीय नदियाँ |
उद्गम स्थल | हिमनदों (ग्लेशियर) से ढके हिमालय पर्वत | प्रायद्वीपीय पठार व मध्य उच्चभूमि |
प्रवाह प्रवृत्ति | बारहमासीः हिमनद व वर्षा से जल प्राप्ति | मौसमीः मानसूनी वर्षा पर निर्भर |
अप्रवाह के प्रकार | पूर्ववर्ती व अनुवर्ती मैदानी भाग में वृक्षाकार प्रारूप | अध्यारोपित, पुनर्युवनित नदियाँ, अरीय व आयताकार प्रारूप बनाती हुई बहती हैं। |
नदी की प्रकृति | लंबा मार्ग, ऊबड़-खाबड़ पर्वतों से गुजरती नदियाँ अभिशीर्ष अपरदन व नदी अपहरण, मैदानों में जलमार्ग बदलना एवं विसर्प बनाना। | सुसमायोजित घाटियों के साथ छोटे निश्चित मार्ग। |
जलग्रहण क्षेत्र | बहुत बड़ी द्रोणी | अपेक्षाकृत छोटी द्रोणी |
नदी की आयु | युवा, क्रियाशील व घाटियों को गहरा करना | प्रवणित परिच्छेदिका वाली प्रौढ़ नदियाँ, जो अपने आधार तल तक पहुँच चुकी हैं। |
■ प्रायद्वीपीय भारत की मुख्य नदियाँ:——>
नदी | स्त्रोत | लम्बाई (किमी.) | मुख्य सहायक नदियाँ |
गोदावरी | नासिक के त्रयंबक पठार के समीप | 1465 | मंजरी, पेनगंगा, वर्धा, वेनगंगा, इन्द्रावती, सबरी, प्राणहिता |
कृष्णा | महाबलेश्वर के समीप | 1400 | कोयना, घाटप्रभा, माल प्रभा, भीमा, तुंगभद्रा, मूसी, मुनेरू |
नर्मदा | अमरकंटक पठार | 1312 | हिरण, ओरसांग, बर्ना, कोलार, बुरहनार, तावा, कुंडी |
महानदी | दण्डकारण्य पठार | 857 | इब, मंद, हाँसदेव, शियोनाथ, ओग, जोंक, तेल |
कावेरी | ताल कावेरी | 800 | हेरांगी, हेमवती, लाकेपावणी, शिमसा, अर्कावाती, काबिनी, भवानी, अमरावती |
तापी | बैतूल जिले में मुल्ताई (म. प्र.) | 724 | पूर्णा, बेतूल, पाटकी, गांजल, धातरंज, बोकाड, अमरावती |
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