सिन्धु नदी तंत्र (Indus River System) से संबंधित सभी प्रश्न जो की प्रतियोगी परीक्षाओं में पूछे जाते हैं वे सभी प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए लाभकारी होगा जैसे UPSC, UPPSC, MPPCS, UKPCS,BPSC,UPPCS,UP POLICE CONSTABLE, UPSI,DELHI POLICE, MP POLICE, BIHAR POLICE, SSC, RAILWAY, BANK, POLICE,RAILWAY NTPC,RAILWAY RPF,RAILWAY GROUP D,RAILWAY JE,RAILWAY TECNICIAN, Teaching Bharti अन्य सभी परीक्षाओं के लिए उपयोगी
■ हिमालयी अपवाह तंत्र की नदियाँ———>
- सिन्धु नदी तंत्र 2. गंगा नदी तंत्र 3. ब्रह्मपुत्र नदी तंत्र
■ सिन्धु नदी तंत्र (Indus River System)——–>
● यह विश्व की सबसे बड़ी नदी द्रोणियों में से एक है, जिसका क्षेत्रफल 11 लाख 65 हजार वर्ग किमी. है। भारत में इसका क्षेत्रफल 3,21,289 वर्ग किमी. है।
● सिन्धु नदी की कुल लंबाई 2,880 किमी. है, परन्तु भारत में इसकी लंबाई केवल 1,114 किमी. ही है। भारत में यह हिमालय की नदियों में सबसे पश्चिमी नदी है।
● सिन्धु नदी का उद्गम तिब्बती क्षेत्र में कैलाश पर्वत श्रेणी में बोखर-चू (Bokhar-Chu) के निकट एक हिमनद से होता है, जो 4,164 मी. की ऊँचाई पर स्थित है। तिब्बत में इसे सिंगी खंबान (Singi Khamban) अथवा शेर मुख कहते हैं।
● लद्दाख व जास्कर श्रेणियों के बीच से उत्तर-पश्चिमी दिशा में बहती हुई, यह लद्दाख और बाल्टिस्तान से गुजरती है। लद्दाख श्रेणी को काटते हुए यह नदी जम्मू और कश्मीर में गिलगित (Gilgit) के समीप एक दर्शनीय महाखड्ड का निर्माण करती है। यहाँ से यह पाकिस्तान के चिल्लड़ के निकट दरदिस्तान प्रदेश में प्रवेश करती है।
● सिन्धु, सतलज, व्यास, रावी, चेनाब और झेलम सिन्धु नदी तंत्र की प्रमुख नदियाँ हैं। सिंधु नदी की बहुत-सी सहायक नदियाँ हिमालय पर्वत से निकलती हैं, जैसे- श्योक, गिलगित, जास्कर, हुंजा, नुब्रा, शिगार, गास्टिंग व द्रास।
● अंततः यह नदी अटक (पंजाब प्रांत, पाकिस्तान) के निकट पहाड़ियों से बाहर निकलती है, जहाँ दाहिने तट पर काबुल नदी इसमें मिलती
है।
■ सिंधु जल संधि (1960)——–>
● सिन्धु जल संधि, 1960 के अनुसार, तीन पूर्वी नदियों-व्यास, रावी और सतलज का नियंत्रण भारत को तथा तीन पश्चिमी नदियों-सिन्धु, चिनाब और झेलम का नियंत्रण पाकिस्तान को दिया गया, यद्यपि इन सभी नदियों के जल का बँटवारा दोनों देशों के बीच होता है। भारत इस नदी प्रक्रम के संपूर्ण जल का केवल 20 प्रतिशत जल उपयोग कर सकता है। इस जल का उपयोग पंजाब, हरियाणा एवं राजस्थान के दक्षिण-पश्चिमी भागों में सिंचाई के लिए किया जाता है। |
● इसके दाहिने तट पर मिलने वाली अन्य मुख्य सहायक नदियाँ खुर्रम, तोची, गोमल, झावे और कंवर हैं। ये सभी नदियाँ सुलेमान पर्वत श्रेणियों से निकली हैं।
● यह नदी दक्षिण की ओर बहती हुई मिठनकोट के निकट पंचनद का जल प्राप्त करती है। पंचनद (Panchnad) नाम पंजाब की पाँच मुख्य नदियों सतलज, व्यास, रावी, चेनाब और झेलम को संयुक्त रूप से दिया गया है।
● अंत में सिंधु नदी करांची के पूर्व में अरब सागर में मिल जाती है। भारत में सिंधु नदी जम्मू-कश्मीर राज्य के केवल लेह जिले में बहती
है।
● सिन्धु और ब्रह्मपुत्र नदियों का उद्गम क्षेत्र तिब्बत का पठार है। तिब्बत के पठार से निकलने वाली अन्य नदियाँ इस प्रकार हैं- यांग्त्सी-क्यांग, जियांग, ह्वांग-हो, पीत या पीली नदी, इरावदी, मेकांग एवं सतलज |
● श्योक नदी को मध्य एशिया में यारकण्डी एवं काराकोरम क्षेत्र में मृत्यु की नदी (River of Death) के नाम से जाना जाता है।
● प्राचीनकाल में यारकण्ड से लद्दाख के नीचे इसी नदी के माध्यम से व्यापार होता था। |
● जास्कर नदी का उद्गम हिमाचल प्रदेश और जम्मू-कश्मीर की सीमा पर सरचू के उच्च अक्षांशीय पठारी भाग से होता है। यह नदी जास्कर श्रेणी में गहरे गॉर्ज का निर्माण करती है तथा कठोर चट्टानी भागों से होकर बहती है। यह पहले उत्तर फिर पूर्व की ओर बहते हुए नेमू के निकट सिन्धु नदी से मिल जाती है।
■ सतलज (शतुद्री) नदी(Satluj River)———>
● यह एक पूर्ववर्ती नदी है, जो तिब्बत में 4,555 मीटर की ऊँचाई पर मानसरोवर के निकट राकस ताल झील (Rakas Tal Lake) से निकलती है, जहाँ इसे लॉगचेन खंबाब (Langchen Khambab) के नाम से जाना जाता है।
● यह उत्तर-पश्चिम दिशा में बहते हुए इंडो-तिब्बत सीमा के समीप शिपकी ला दर्रे (हिमाचल प्रदेश) के पास भारत (पंजाब का मैदान) में प्रवेश करने से पहले लगभग 400 किमी. तक सिन्धु नदी के समानांतर बहती है तथा रोपड़ में एक महाखड्ड से निकलती है। भारत में प्रवेश करने के पश्चात् इसके उत्तरी भाग से इसमें स्पीति नदी मिलती है।
● स्पीति नदी 16,000 फीट ऊँचे कुंजुम दर्रे से निकलती है तथा हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में नामगिया गाँव के समीप सतलज नदी में मिल जाती है। |
● सतलज, सिन्धु नदी की महत्वपूर्ण सहायक नदी है। यह भाखड़ा नांगल परियोजना के नहर तंत्र का पोषण करती है तथा आगे जाकर व्यास नदी में मिल जाती है।
● यह हिमालय की श्रेणियों (महान हिमालय और जास्कर श्रेणी) को काटकर महाखड्ड (गहरे गॉर्ज) का निर्माण करती है।
● लुधियाना (पंजाब) इसी नदी के पुराने किनारे पर स्थित है, परन्तु वर्तमान समय में सतलज नदी लुधियाना से 13 किमी. उत्तर से होकर प्रवाहित हो रही है।
■ व्यास (विपाशा) नदी(Beas River)——–>
● यह सिंधु की एक अन्य महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जो समुद्र तल से 4,000 मीटर की ऊँचाई पर रोहतांग दरें के निकट व्यासकुंड से निकलती है।
● यह नदी कुल्लू घाटी से गुजरती है तथा धौलाधर श्रेणी में काती और लारगी में महाखड्ड का निर्माण करती है।
● यह पंजाब के मैदान में प्रवेश करती है, जहाँ हरिके (Harike) के पास सतलज नदी में मिल जाती है।
■ रावी (परुष्णी या इरावती) नदी (Ravi River)———->
● यह सिंधु की एक अन्य महत्वपूर्ण सहायक नदी है, जो हिमाचल प्रदेश की कुल्लू पहाड़ियों में स्थित रोहतांग दरें के पश्चिम से निकलती है तथा चंवा घाटी से होकर बहती है।
● पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले व सराय सिंधु के निकट चेनाब नदी में मिलने से पहले यह नदी पीरपंजाल के दक्षिण-पूर्वी भाग व धौलाधर के बीच से प्रवाहित होती है।
■ चेनाब (अस्किनी) नदी (Chenab River)———–>
● यह सिन्धु की सबसे बड़ी सहायक नदी है, जो चंद्रा और भागा नामक दो सरिताओं के मिलने से बनती है। ये सरिताएँ हिमाचल प्रदेश में केलांग के निकट तांडी में आपस में मिलती हैं। इसलिए इसे चंद्रभागा के नाम से भी जाना जाता है। पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले भारत में इस नदी का बहाव क्षेत्र 1,180 किमी. है।
■ झेलम (वितस्ता) नवी (Jhelum River)———–>
● यह सिंधु की सहायक नदी है, जो कश्मीर घाटी के दक्षिण-पूर्वी भाग में पीरपंजाल गिरिपद में स्थित वेरीनाग के निकट शेषनाग झरने से निकलती है।
● पाकिस्तान में प्रवेश करने से पहले यह नदी श्रीनगर और वुलर झील से बहते हुए एक तंग व गहरे महाखड्ड से गुजरती है, पाकिस्तान में झांग के निकट यह चेनाब नदी से मिलती है। किशनगंगा, झेलम की प्रमुख सहायक नदी है, जो जम्मू-कश्मीर राज्य में प्रवाहित होती है।
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